रानी लक्ष्मीबाई के घोड़े का क्या नाम था, 100 फीट ऊंची दीवार से लगाई थी छलांग

Kuldeep Raghav

Dec 12, 2024

राष्ट्रीय अश्व दिवस

राष्ट्रीय अश्व दिवस हर साल 13 दिसंबर को मनाया जाता है। यह घोड़ों द्वारा किए गए आर्थिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदान को याद करने का दिन है।

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लक्ष्मीबाई का घोड़ा

राष्ट्रीय अश्व दिवस के अवसर पर हम आपको झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के घोड़े के बारे में बताने वाले हैं।

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साहसी घोड़ों का जिक्र

आज इतिहास में साहसी घोड़ों का जिक्र होता है तो रानी लक्ष्मीबाई के घोड़े बादल का जिक्र जरूर होता है।

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झांसी की रानी

1838 में गंगाधर राव को झांसी का राजा घोषित किया गया। 1850 में मनुबाई यानी लक्ष्मीबाई से उनका विवाह हुआ। 21 नवंबर 1853 को राजा गंगाधर राव के निधन के बाद झांसी पर अंग्रेजों की नजर आ गई।

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जब युद्ध आरंभ हुआ

23 मार्च 1858 को झांसी का ऐतिहासिक युद्ध आरंभ हुआ। रानी अकेले ही अपनी पीठ के पीछे दत्तक पुत्र दामोदर राव को कसकर घोड़े पर सवार हो, अंगरेजों से युद्ध करती रहीं।

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रानी के पास थे तीन घोड़े

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के पास तीन घोड़े थे जिनके नाम सारंगी, बादल और पवन थे।

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बादल था प्रिय

रानी लक्ष्मीबाई अपने जिस घोड़े पर बैठकर किले की 100 फीट ऊंची दीवार को पार कर गईं थीं। वो घोड़ा बादल था।

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बहादुर था बादल

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का प्रिय घोड़ा बादल बहुत बहादुर और तेज था।

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रानी को बचाते हुए बादल हुआ शहीद

उनका प्रिय घोड़ा बादल था लेकिन एक बार रानी को बचाते बचाते उस घोड़े ने अपनी जान दे दी।

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