Aug 30, 2023
चंद्रमा अपना रंग बदलता है। परिस्थितियों के हिसाब से चंद्रमा के रंगों में बदलाव आ जाता है।
Credit: Pixabay
चंद्रमा कभी केवल सफेद, कभी पीला, कभी नीला, कभी गुलाबी तो कभी केसिरया तक जैसा भी नजर आता है।
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चांद की खुद की कोई रोशनी नहीं होती। वह रोशनी के लिए सूर्य पर निर्भर करता है।
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चांद की सतह से टकराकर लौटने वाली रोशनी से ही चांद धरती पर लोगों को दिख पाता है। सूर्य और चांद के बीच पृथ्वी की स्थिति के कारण ही चांद के रंग में अंतर पड़ा जाता है।
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चांद का रंग अक्सर सफेद या चांदी के रंग जैसा नजर आता है। सूर्य की रोशनी उससे टकराकर धरती पर लौटती है तब रात में वह चांदी के रंग का दिखाई देता है।
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सूर्य की रोशनी आकाश में बिखरने के कारण आकाश कई बार लाल या नारंगी रंग का दिखाई देता है, उसी वजह से चांद भी लाल रंग का दिखाई देता है। इसे ब्लड मून कहते हैं।
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प्रदूषण वाली जगहों पर रोशनी ज्यादा बिखरती है ऐसे में चांद नीले की जगह यह पीला या नारंगी नजर आ जाता है! नासा का कहना है कि जब चंद्रमा लाल रंग का या फिर पीले रंग का दिखाई दे तो इसका एक ही मतलब होता है कि वह उस समय क्षितिज पर दिख रहा है
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इसके साथ ही धरती के वातावरण का भी असर होता है जिस वजह से हमें चांद के अलग अलग रंग दिखते हैं! वहीं, ब्लू मून सिर्फ एक शब्द है। इसमें चांद का रंग नीला नहीं होता है।
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चांद की रोशनी, चमक या रंग इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि ये धरती से कितने पास और दूर है।
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