Oct 16, 2022
भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने हाल ही में अपने उत्तराधिकारी के रूप में डीवाई चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश की है। वह 8 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। जिसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ 9 नवंबर को देश के 50वें सीजेआई बनेंगे।
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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल 2 साल के लिए होगा। वह 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
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धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था। उनके पिता धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ देश के 16वें चीफ जस्टिस का पद संभाल चुके हुए हैं। अब पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद उनके बेटे यह जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं।
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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 1976 के एडीएम जबलपुर केस में अपने पिता और पूर्व चीफ जस्टिस का फैसला बदल दिया था। उन्होंने पूर्व सीजेआई के फैसले को गलत बताते हुए कहा था कि निजता का अधिकार संविधान का अभिन्न हिस्सा है।
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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इलाहाबाद, मध्य प्रदेश, कोलकाता, गुजरात और दिल्ली के उच्च न्यायालयों में एक वकील के तौर पर प्रैक्टिस की है। वह बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा सीनियर एडवोकेट और भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी नियुक्त किए जा चुके हैं।
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जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से बीए इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है। फिर डीयू के लॉ कैंपस से एलएलबी की डिग्री हासिल की है।
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जस्टिस चंद्रचूड़ आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। वहां उन्होंने InLaks स्कॉलरशिप की मदद से हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएमएम किया। फिर ज्यूरीडिशियल साइंसेज में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।
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जस्टिस चंद्रचूड़ ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड लॉ स्कूल, Yale लॉ स्कूल और University of Witwatersrand, दक्षिण अफ्रीका में लेक्चर भी दे चुके हैं।
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डीवाई चंद्रचूड़ ने अयोध्या मंदिर विवाद, गर्भपात और समलैंगिकता जैसे कई बड़े फैसलों में अहम भूमिका निभाई है। उनके सीजेआई के कार्यकाल के दौरान भी कुछ अहम मुद्दों पर सुनवाई की उम्मीद की जा रही है।
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