इस वाघ-नख से छत्रपति शिवाजी ने मारा था अफजल खां को

Neelaksh Singh

Aug 23, 2024

क्या है वाघ नख

सीधे शब्दों में वाघ नख का मतलब है 'बाघ का पंजा', एक समय में यह खतरनाक खंजर हुआ करता था, जिसका उपयोग मध्यकालीन भारत में किया गया था।

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वाघ नख क्यों बनाया गया

इसका अविषकार इसलिए किया था ​ताकि दुश्मन पर गुप्त तरीके से हमला किया जा सके और व्यक्तिगत सुरक्षा की जा सके।

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चीर देता था लोगों को

इसमें लगे ब्लेड इतने नुकीले होते हैं कि इससे आसानी से किसी को भी चीरा फाड़ा जा सकता है। अब आते हैं इतिहास पर

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शिवाजी और अफजल खान की मुठभेड़

कोंकण क्षेत्र में छत्रपति शिवाजी की मजबूत पकड़ व अभियानों को कमजोर करने के लिये बीजापुर के सेनापति अफजल खान और छत्रपति शिवाजी के बीच मुठभेड़ हुई थी।

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अफजल खान का धोखा

अफजल खान ने शांतिपूर्ण सुलह का सुझाव दिया था, व​​ह छत्रपति शिवाजी को धोखे में रखकर अपनी चाल चलना चाहता था। लेकिन शिवाजी महाराज को उसके इरादों की भनक थी।

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छल से शिवाजी महाराज को मारने की कोशिश

अफजल खान जानता था कि शिवाजी महाराज जैसे बहादुर को सिर्फ छल से मारा जा सकता है, इसलिए उसने मुलाकात से पहले चाकू छिपा लिया।

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दिमाग के धनी थे शिवाजी महाराज

संभावित खतरे की आशंका को देखते हुए शिवाजी पूरी तैयारी के साथ अफजल खान से मिले, उन्होंने वाघ नख को अपने पास रखा।

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ऐसे मारा गया अफजल खान

जैसे ही अफजल खान ने शिवाजी महाराज को गले लगाया और उन्हें मारने के लिए चाकू निकाला, उससे पहले शिवाजी महाराज ने वाघ नख से अफजल खान को चीर दिया।

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अफजल खान का असली नाम

कहते हैं अफजल खान का असली नाम अब्दुल्ला भटारी था और वो बहुत लंबी कद काठी का था, जिसे कई बड़ी लड़ाइयां लड़ने का अनुभव था।

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