Aug 23, 2024
सीधे शब्दों में वाघ नख का मतलब है 'बाघ का पंजा', एक समय में यह खतरनाक खंजर हुआ करता था, जिसका उपयोग मध्यकालीन भारत में किया गया था।
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इसका अविषकार इसलिए किया था ताकि दुश्मन पर गुप्त तरीके से हमला किया जा सके और व्यक्तिगत सुरक्षा की जा सके।
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इसमें लगे ब्लेड इतने नुकीले होते हैं कि इससे आसानी से किसी को भी चीरा फाड़ा जा सकता है। अब आते हैं इतिहास पर
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कोंकण क्षेत्र में छत्रपति शिवाजी की मजबूत पकड़ व अभियानों को कमजोर करने के लिये बीजापुर के सेनापति अफजल खान और छत्रपति शिवाजी के बीच मुठभेड़ हुई थी।
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अफजल खान ने शांतिपूर्ण सुलह का सुझाव दिया था, वह छत्रपति शिवाजी को धोखे में रखकर अपनी चाल चलना चाहता था। लेकिन शिवाजी महाराज को उसके इरादों की भनक थी।
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अफजल खान जानता था कि शिवाजी महाराज जैसे बहादुर को सिर्फ छल से मारा जा सकता है, इसलिए उसने मुलाकात से पहले चाकू छिपा लिया।
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संभावित खतरे की आशंका को देखते हुए शिवाजी पूरी तैयारी के साथ अफजल खान से मिले, उन्होंने वाघ नख को अपने पास रखा।
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जैसे ही अफजल खान ने शिवाजी महाराज को गले लगाया और उन्हें मारने के लिए चाकू निकाला, उससे पहले शिवाजी महाराज ने वाघ नख से अफजल खान को चीर दिया।
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कहते हैं अफजल खान का असली नाम अब्दुल्ला भटारी था और वो बहुत लंबी कद काठी का था, जिसे कई बड़ी लड़ाइयां लड़ने का अनुभव था।
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