Nov 15, 2023
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं, तुमने मेरा कांटो भरा बिस्तर नहीं देखा, बशीर बद्र साहब की ये पंक्ति आईएएस अंसार शेख पर सटीक बैठती है।
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अंसार शेख एक ऐसा नाम है जो ज्यादा चर्चित तो नहीं, लेकिन इनकी कहानी किसी बॉलीवुड स्टोरी से कम भी नहीं है।
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अंसार में पढ़ने का जज्बा कुछ इस कदर था कि, घर में गरीबी और भुखमरी के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत व संघर्ष से अपने मुकाम को हासिल किया।
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बता दें अंसार शेख ने पहले अटेम्प्ट में 361वीं रैंक हासिल कर सबसे कम उम्र के आईएएस हैं।
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हालांकि यह सफर अंसार के लिए आसान नहीं था। एक इंटरव्यू के दौरा अंसार यह बताते हुए भावुक हो गए थे, उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे। मां घर घर जाकर मजदूरी का काम किया करती थी।
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घर की आर्थिक स्थिति खराब होने पर कक्षा 4 में उनके पिता ने अंसार की पढ़ाई छुड़वाने का निर्णय लिया था।
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हालांकि अंसार के टीचर पुरुषोत्तम पडुलकर ने उनके पिता को समझाया कि आपका बेटा पढ़ाई में बहुत होशियार। आपको यही गरीबी से बाहर निकालेगा।
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इतना ही नहीं अंसार जब 10वीं कक्षा में थे तो उन्होंने गर्मी की छुट्टियों में कंप्यूटर सीखने का मन बनाया, लेकिन परिवार में पैसों की तंगी देख उन्होंने घर पर नहीं बताया। वह रात में एक होटल में वेटर का काम करते थे और दिन में कंप्यूटर क्लास के लिए जाया करते थे।
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अंसार बचपन से ही आईएएस बनना चाहते थे। हालांकि उन्होंने यूपीएससी की तैयारी ग्रजुएशन के सेकेंड ईयर से शुरू किया और पहले अटेम्प्ट में सिविल सेवा परीक्षा क्रैक किया।
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