Jun 25, 2023
कुछ बनने की चाह हो, तो संसाधन का अभाव या अन्य मुश्किलें आपकी राह में रोड़ा नहीं बन सकती है। ये बात साबित की आईएएस अधिकारी बी अब्दुल नसर ने।
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आईएएस अधिकारी बी अब्दुल नसर ने मात्र पांच वर्ष की आयु में ही अपने पिता को खो दिया, जिसके बाद उनका जीवन संघर्षमय हो गया।
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बी अब्दुल नसर की मां पर घर चलाने की जिम्मेदारी थी इसलिए उन्होंने घरेलू सहायिका के रूप में काम किया। इस दौरान वे और उनके भाई अहन अनाथालय में वक्त गुजारते थे।
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आईएएस अधिकारी बी अब्दुल नसर ने 13 साल की उम्र तक केरल के अनाथालय में रहकर अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इस बीच 10 साल में ही उन्होंन होटल क्लीनर के रूप में भी काम किया।
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हर तरह के संसाधन का अभाव था, बावजूद इसके उन्होंने कैसे तैसे 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद एक सरकारी कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया।
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लेकिन बिना पैसे के कुछ भी संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने कई तरह के छोटे मोटे काम करने शुरू कर दिए, जैसे ट्यूशन देना, फोन ऑपरेटर, अखबार फेकना आदि।
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इन पैसों से उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और 1994 में केरल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के रूप में सरकारी सेवा में शामिल हो गए।
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नियमित रूप से पढ़ाई करना व लक्ष्य को पाने की जिद्द ने उन्हें आगे बढ़ाया और 2006 में राज्य सिविल सेवा के तहत डिप्टी कलेक्टर बन गए।
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बी अब्दुल नसर में जितना पढ़ाई लिखाई का जुनून था उतना ही काम का भी। यही कारण है कि नसर को 2015 में केरल में सर्वश्रेष्ठ डिप्टी कलेक्टर के रूप में सम्मानित किया गया।
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2017 में, बी अब्दुल नसर को आईएएस अधिकारी के पद पर पदोन्नत किया गया था।ias officer b abdul nasar success story
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