भारतीय सेना की शान है अंग्रेजों की बनाई ये रेजिमेंट, कहते हैं दुश्मनों का काल
Ankita Pandey
भारतीय सेना की रेजिमेंट
भारतीय सेना में यूं तो कई रेजिमेंट हैं लेकिन एक रेजिमेंट ऐसी है, जिसका नाम सुनते ही दुश्मन कांपने लगते हैं।
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आर्टिलरी रेजिमेंट
ये कोई और नहीं बल्कि आर्टिलरी रेजिमेंट है, जो कि भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है।
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दुनियाभर के आधुनिक हथियार
आज आर्टिलरी रेजिमेंट के पास दुनिया के एक से बढ़कर एक आधुनिक हथियार हैं। इसका काम जमीन पर अभियानों के समय पर सेना को मारक क्षमता देना है।
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कब हुआ गठन
28 सितंबर 1827 को भारतीय आर्टिलरी रेजिमेंट की पहली इकाई (5 बॉम्बे) माउंटेन बैटरी) की गठन किया गया था।
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अंग्रेजों ने की शुरुआत
इस रेजिमेंट की शुरुआत ब्रिटिश भारतीय सेना की रॉयल इंडियन आर्टिलरी के रूप में हुई, जिसे आजादी के बाद भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट कहा गया।
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आर्टिलरी रेजिमेंट के दो हिस्से
इसे दो हिस्सों में बांटा गया है। पहले हिस्से में घातक हथियार जैसे कि मिसाइल, रॉकेट्स, मोर्टार, तोप, बंदूक आदि शामिल हैं। वहीं दूसरे में ड्रोन, रडार, सर्विलांस सिस्टम होता है।
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आर्टिलरी रेजिमेंट की यूनिट
आर्टिलरी रेजिमेंट को काम के हिसाब से कई यूनिट में बांटा गया है। इसमें लाइट, फील्ड मीडियम, मिसाइल व रॉकेट जैसी रेजिमेंट शामिल हैं।
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तीन डिवीजन
इस समय आर्टिलरी की तीन डिवीजन है, जिसमें अंबाला की 40 एआरटी, दूसरी पुणे की एआरटी और तीसरी राजस्थान की 34 एआरटी शामिल है।
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भारतीय सेना की शान
आर्टिलरी रेजिमेंट ना केवल भारतीय सेना की शान है बल्कि अंतरराष्ट्रीय सेनाओं की भी मदद कर चुकी है।
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