Nov 19, 2023
भारतीय वसुंधरा को गौरवान्वित करने वाली झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ।
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1838 में गंगाधर राव को झांसी का राजा घोषित किया गया। 1850 में मनुबाई यानी लक्ष्मीबाई से उनका विवाह हुआ।
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21 नवंबर 1853 को राजा गंगाधर राव का निधन हो गया और झांसी पर अंग्रेजों की नजर आ गई। लेकिन रानी ने कह दिया कि वह अपनी झांसी नहीं देंगी। उन्होंने अंग्रेजों से युद्ध किया।
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23 मार्च 1858 को झांसी का ऐतिहासिक युद्ध आरंभ हुआ। रानी अकेले ही अपनी पीठ के पीछे दत्तक पुत्र दामोदर राव को कसकर घोड़े पर सवार हो, अंगरेजों से युद्ध करती रहीं।
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रानी लक्ष्मी बाई के पास तीन घोड़े थे जिनके नाम सारंगी, बादल और पवन थे। अपने अंतिम युद्ध के समय रानी जिस घोड़े पर सवार थीं उसका नाम बादल था।
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रानी लक्ष्मीबाई अपने घोड़े पर बैठकर क़िले की 100 फीट ऊंची दीवार को पार कर गईं थी! कहा जाता है कि वो घोड़ा बादल था।
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आज इतिहास में साहसी घोड़ों का जिक्र होता है तो रानी लक्ष्मीबाई के घोड़े बादल का जिक्र जरूर होता है।
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झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का प्रिय घोड़ा बादल बहुत बहादुर और तेज था।
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उनका प्रिय घोड़ा बादल था लेकिन एक बार रानी को बचाते बचाते उस घोड़े ने अपनी जान दे दी।
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