सूरज सा चमकना है तो गांठ बांध लें संस्कृत के ये श्लोक, सफलता की गारंटी

Aditya Singh

Apr 12, 2024

संस्कृत में मोटिवेशनल कोट्स

यहां हम आपके संस्कृत में सफलता के शानदार श्लोक लेकर आए हें।

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बढ़ेगा मनोबल

इन कोट्स को पढ़ते ही लक्ष्य के प्रति आपका मनोबल बढ़ जाएगा।

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​उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य

उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत। क्षुरासन्नधारा निशिता दुरत्यद्दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति॥

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​दैवं हि दैवमिति कापुरुषा....

दैवं हि दैवमिति कापुरुषा वदंति। दैवं निहत्य कुरु पौरुषं आत्मशक्त्या यत्ने कृते यदि न सिध्यति न कोऽत्र दोषः।

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​काव्य-शास्त्र-विनोदेन

काव्य-शास्त्र-विनोदेन कालो गच्छति धीमताम्। व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा॥

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​योगस्थः कुरु

योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय । सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ॥

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न चोरहार्य न राजहार्य

न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि। व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।।

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​उद्यमेन हि सिध्यन्ति

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।

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​बुद्घियुक्तो जहातीह

बुद्घियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माद्योगाय युज्यस्व योग: कर्मसु कौशलम्॥

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