Nov 3, 2024
किसी कार्य की सफलता व असफलता हमारे द्वारा किए गए कार्यों पर निर्भर करती है।
Credit: Istock
आपको अपने सपनों को सकार करने व अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आपोक कड़ी मेहनत व संघर्ष करना होगा। हालांकि इसके लिए मोटिवेशन भी जररी होता है।
ऐसे में यहां हम आपके लिए संस्कृत के कुछ शानदार श्लोक लेकर आए हैं। इन श्लोक को अपने जीवन में लागू कर आप सफलता के शिखर पर पहुंच सकते हैं।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।
न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि। व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।।
संधिविग्रहयोस्तुल्यायां वृद्धौ संधिमुपेयात्।
सिंहवत्सर्ववेगेन पतन्त्यर्थे किलार्थिनः॥
काक चेष्टा, वको ध्यानं। श्वान निद्रा तथैव च। अल्पाहारी गृहत्यागी, विद्यार्थी पंचम लक्षणम्।।
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स