Jun 7, 2023
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के छोटे से गांव हररायपुर के में पैदा हुए नूरुल हसन की कहानी भी कुछ ऐसी है। जिस पिता ने बेटे की फीस भरने को गांव की जमीन बेच दी, उस बेटे ने पिता के त्याग का कर्ज आईपीएस बनकर उतारा।
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आईपीएस नूर का जन्म उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के छोटे से गांव में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा वहीं हुई। पिता जी खेती करते थे। वह बेहद गरीबी में पले बढ़े।
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उन्होंने ब्लॉक के गुरुनानक हायर सेकेंडरी स्कूल, अमरिया से 67 प्रतिशत के साथ दसवीं की और स्कूल टॉपर बने। उसके बाद उनके पापा की चतुर्थ श्रेणी में नियुक्ति हो गई तो वह बरेली आ गए।
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बरेली में उन्होंने मनोहरलाल भूषण कॉलेज से 75 प्रतिशत के साथ 12वीं की। इस समय वह एक मलिन बस्ती में रहते थे। घर में पानी भर जाता था लेकिन वह उसी हाल में पढ़ते थे।
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12वीं के बाद नूर का सलेक्शन एएमयू अलीगढ़ में बीटेक में हो गया, लेकिन फीस भरने के पैसे नहीं थे। इस पर उनके पापा ने गांव में एक एकड़ जमीन बेच दी और फीस भरी।
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बीटेक के बाद नूर ने भाभा एटोमिक रिसर्च इंस्टीटयूट की परीक्षा दी और नूर का चयन तारापुर मुंबई में वैज्ञानिक के पद पर हो गया। जिस समय उनका सिविल सेवा में चयन हुआ था, वह एटॉमिक सेंटर नरौरा में पोस्टिंग थे।
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नूर ने आर्थिक हालातों से जूझकर, संसाधनों के अभाव में खुद को स्थापित किया है और 2015 में सिविल सेवा परीक्षा में उनका चयन हो गया।
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नूर ने बिना कोचिंग के UPSC की सिविल सेवा परीक्षा परीक्षा पास की।
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वह वर्तमान में महाराष्ट्र में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में कार्यरत हैं।
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