Sep 27, 2023
पढ़ाई में मन न लगने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन एक बात जो कॉमन है वह है — समाधान न ढूंढना। ऐसे में बच्चे पर प्रेशर बन जाता है, और पैरेंट भी परेशान रहते हैं।
Credit: canva
सबसे पहले तो बच्चे को यह पता न चलने दें, कि बतौर माता आप उसकी पढ़ाई को लेकर परेशान हैं। अब उसे मोटिवेट करने की कोशिश करें।
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बच्चे के पढ़ाई की टाइमिंग ऐसी बनाएं कि उस वक्त आप फ्री हों आप उसके साथ बैठें, ताकि आपकी उपस्थिति की वजह से केवल पढ़ाई करे।
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पढ़ाई करते समय आप ऐसी एक्टिविटी न करें, जिससे उसका मन भटक सके। बजाय इसके आप भी उसकी पढ़ाई में रुचि दिखाएं।
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अच्छे नंबर लाने पर बार बार बात न करें, बल्कि सिलेबस को समझने पर जोर दें, यदि बच्चा सीखने के प्रति प्रेरित रहेगा, तो नंबर खुद ब खुद आएंगे।करना चाहिए।
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उससे रोजाना पूछें कि उसने स्कूल में आज क्या सीखा? उस विषय पर यदि आप कुछ जानते हैं तो अपने बच्चे को बताएं।
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देखा जाए तो पढ़ाई के लिए किसी भी प्लानिंग का पहला स्टेप शेड्यूल बनाना है। इसमें आप अपने बच्चे की मदद करें, उसके खेल-कूद व पढ़ने का समय का शिड्यूल तय करें।
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बतौर पैरेंट आपको पता होना चाहिए कि बच्चे की सीखने और याद करने की क्षमता कैसी है। वो बोल-बोल कर याद करता है या लिखने से उसे जल्दी याद होता है।
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कई बार बच्चे एग्जाम से पहले नर्वस होते हैं, यदि उन्हें अच्छे नंबर नहीं आए तो माता पिता को कैसे फेस करेंगे। इस नकारात्मक माहौल को न बनने दें, उसे लगातार कोशिश करते रहने को कहें।
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