Oct 7, 2024
लेकिन टीचर की परिभाषा समय के साथ अपडेट होने की जरूरत है, डॉ विकास दिव्यकीर्ति ने इसी विषय पर अपनी राय रखी है, जिसे छात्र, शिक्षक व माता पिता सभी को समझना चाहिए।
Credit: canva-and-tnn
दिव्यकीर्ति सर ने एक सभा में कहा कि कॉलेज लाइफ में बच्चों को जबरदस्ती पढ़ने या क्लास में रहने के लिए फोर्स नहीं कर सकते हैं।
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40 या 50 मिनट की क्लास के दौरान सारे बच्चों को होल्ड करना चुनौतीपूर्ण हो चुका है, क्योंकि इधर टीचर कुछ पढ़ा रहे हैं, उधर आपने तुरंत गूगल कर लिया और कहा सर यहां तो कुछ और लिखा है।
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ऐसे में टीचिंग अब पहले जैसी आसान नहीं है, इस जमाने में युवा रील न पसंद आने पर दो सेकंड में दूसरी देखने लगते हैं, ऐसे में 40 या 50 मिनट तक टीचर को सुनना ये उनके लिए भी वाकई मुश्किल काम है।
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अगर आप फैक्ट या नॉलेज के दम पर बच्चों को पढ़ा रहे हैं, तो इससे काम नहीं बनेगा और एक समय पर बच्चे बोर होने लगेंगे।
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टीचर को इंटरैक्टिव होने की जरूरत है, यानी बच्चों से बातचीत करते चलें, उन्हें एहसास दिलाएं कि आप उन्हें और वे आपको अच्छे से सुन समझ रहे हैं।
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अगर केवल टीचर बोलेगा तो ये 'वन वे' क्लास हो जाएगी, इससे काम नहीं चलेगा। इसलिए कम्युनिकेशन दोनों तरफ से होना चाहिए।
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यदि बच्चें खुलकर बोलने का मौका नहीं पाएंगे तो कई सवाल हमेशा के लिए दबे रह जाएंगे। इसलिए उन्हें भी सवाल करने का अवसर दें, और आप उनका जवाब दें।
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दिव्यकीर्ति सर ने कहा सिखाने सबसे अच्छा तरीका है जो पढ़ाएं उससे ऐसे उदाहरण से पेश करें, जिससे छात्र खुद को रिलेट कर सकें।
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