Oct 26, 2023
बात हो रही है तुर्कमेनिस्तान में मौजूद एक विशालकाय गड्ढे की, जिसे वास्तव में गेट्स ऑफ हेल यानी Gates of Hell कहा गया है।
Credit: istock
तुर्कमेनिस्तान पूर्व में सोवियत संघ में शामिल था। यह मध्य एशिया में स्थित एक तुर्किक देश है।
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यह कजाकिस्तान के बाद मध्य एशिया का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, इस देश के 70% हिस्से में काराकुम रेगिस्तान है।
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यह रेगिस्तान 3.5 लाख वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है, इस रेगिस्तान के उत्तर की तरफ गेट क्रेटर या डूर क्रेटर नाम का बड़ा-सा गड्ढा है।
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इस गड्ढा की चौड़ाई 69 मीटर व गहराई 30 मीटर है। इस गड्ढे में पिछली कई दशकों से आग धधक रही है। आग धधक का कारण इससे निकलने वाली प्राकृतिक गैस (मीथेन) है।
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वास्तव में यह गड्ढा कब से है या कितना पुराना है, इसे कोई नहीं जानता। हालांकि एक रिसर्च से कुछ रोचक जानकारी सामने आई, जिसमें पता चला कि अस्सी के दशक से यह आग मौजूद है।
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इस गड्ढे को लेकर एक कहानी मौजूद है, जो बताती है कि यहां मौजूद रेगिस्तान में कच्चे तेल के भंडार की खोज की जा रही थी, लेकिन उस दौरान जमीन धंस गई और तीन बड़े गड्ढे हो गए।
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दूसरी थ्योरी है, इस गड्ढों से मीथेन गैस के रिसाव का खतरा था, जो वायुमंडल में मिल सकती थी। इसे रोकने के लिए गड्ढे में आग लगा दी गई, ताकि गैस जलकर खत्म हो जाए और आग अपने आप बुझ जाए।
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लेकिन इन थ्योरीज को सच मानने के लिए साइंस के पास पर्याप्त सबूत नहीं है। गड्ढे में आग कैसे लगी इसे लेकर विवाद बना हुआ है।
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