वहीं, पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है। जबकि, चंद्रमा पृथ्वी के साथ ही सूर्य का भी चक्कर लगाता है।
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नहीं होती अपनी रोशनी
अब चंद्रमा के बदलते आकार को समझने के लिए ये जानना जरूरी है कि चंद्रमा की अपनी कोई रोशनी नहीं होती है।
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चंद्रमा की चमक
दरअसल, सूर्य की किरणें चंद्रमा की सतह पर पड़कर परावर्तित होती हैं और इस कारण चंद्रमा चमकता हुआ प्रतीत होता है।
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पृथ्वी की परिक्रमा
वहीं, पृथ्वी की परिक्रमा करते समय चंद्रमा एक बार पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है तो एक बार पृथ्वी के पीछे और इस दौरान वह सूर्य और पृथ्वी से अलग-अलग कोण बनाता है।
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अमावस की रात
जब चंद्रमा पृथ्वी के आगे आता है तब सूर्य से आने वाली किरणें प्रतिबिंबित हो कर पृथ्वी पर नहीं आती और वह दिखाई नहीं देता। यह अमावस की रात कहलाती है।
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पूर्णिमा की रात
वहीं, जब चंद्रमा पृथ्वी के पीछे होता है तो सूर्य की किरणें चंद्रमा पर पड़कर पृथ्वी तक सीधे आ जाती हैं और चंद्रमा गोल दिखाई देता है। यह पूर्णिमा की रात होती है।
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अलग अलग आकार
इसी तरह अलग अलग कोणों के कारण चंद्रमा के अलग आकार दिखाई देते हैं, जिन्हें अंग्रेजी में Phases of the moon कहते हैं।
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