Jan 15, 2025
दिल्ली की सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है कुतुब मीनार, कुछ साल पहले तक इसके अंदर जाया जा सकता था।
Credit: canva-and-meta-ai
लेकिन 1981 को कुछ ऐसा हुआ, जिसके बाद कुतुब मीनार के अंदर किसी का भी जाना बंद हो गया।
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4 दिसंबर 1981 से पहले सैकड़ों की उपस्थिति में लोग अंदर जा सकते थे, लेकिन इस तारीख को जब 350 लोग अंदर थे, तो अचानक लाइट चली जाती है।
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इसके बाद अंदर घोर अंधेरा छा जाता है, जिसके बाद भगदड़ मच जाती है। इस भीड़ में स्कूली बच्चों की ज्यादा थी।
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चूंकि इसके अंदर की सीढ़ियां पतली हैं, ऐसे में भागने के लिए उचित जगह नहीं मिली।
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नतीजा ये होता है कि 45 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है, जिसके बाद सरकार ने इसके अंदर जाने पर हमेशा के लिए रोक लगा दी।
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whc.unesco.org के अनुसार, कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है। इसके अंदर 379 सीढ़ियां हैं।
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कुतुब मीनार को 13वीं शताब्दी में शुरुआत में बनवाया गया था। इसका निचला हिस्सा यानी आधार 14.32 मीटर है। जबकि जैसे जैसे ऊपर की बढ़ता जाता है, इसका व्यास कम होने लगता है। शिखर पर इसका व्यास 2.75 मीटर रह जाता है।
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इसे दिल्ली के तीन शासकों द्वारा तीन चरणों में किया गया था। Qutubuddin Aibak ने एक मंजिल का निर्माण कराया, उसके बाद
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उसके उत्तराधिकारी शम्स-उद-दीन इल्तुतमिश ने तीन मंजिलें और बनवाईं और अंत में फिरोज शाह तुगलक ने अंतिम और पांचवीं मंजिल बनवाई।
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