Jan 30, 2025
आपने कंप्यूटर या लैपटॉप के कीबोर्ड को देखा होगा, उसके बटन्स पर गौर भी किया होगा, ये QWERTY फॉर्मेट में होते हैं।
Credit: canva
अगर आपने टच स्क्रीन वाले मोबाइल में भी SMS या व्हाट्सअप पर चैटिंग की है, तो यहां भी कीबोर्ड QWERTY फॉर्मेट में मिलेगा।
Credit: canva
अंग्रेजी अक्षर तो ABCD... करके पढ़ाए जाते हैं, तो ये QWERTY कीबोर्ड का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
Credit: canva
1868 में Christopher Latham Sholes नाम के व्यक्ति ने दुनिया के पहले टाइपराइटर का आविष्कार किया था।
Credit: canva
इस टाइपराइटर के बटन ABCD...फॉर्मेट में थे, यानी कीबोर्ड का फॉर्मेट ABCD... करके ही डिजाइन किया गया था।
Credit: canva
लेकिन इसमें एक बड़ी चुनौती सामने आ गई, टाइपराइटर में तेज लिखने के दौरान बटन के पिन आपस में टकरा जाते थे।
Credit: canva
ये तो आप जानते हैं कि टाइपराइटर में जैसे ही कोई बटन (जैसे R) दबाओ तो उस अक्षर का बना लोहे का सांचा कागज पर तेजी से टकराता था, जिससे सांचे में बनी डिजाइन (यानी R) कागज पर छप जाती थी।
Credit: canva
अब ABCD फॉर्मेट में तेज लिखने के दौरान सारे सांचे आपस में फंस जाते थे, क्योंकि ये सारे पिन्स एक दूसरे से सटे होते थे।
Credit: canva
इससे न सिर्फ बटन के पिन्स खराब हो जाते थे बल्कि टाइपिंग मैटेरियल भी खराब होने का जोखिम था।
Credit: canva
इस दिक्कत की वजह से एक समय के बाद लोगों को टाइपराइटर खास पसंद नहीं आ रहा था। इस समस्या को देखते हुए Latham Sholes ने 1873 में कीबोर्ड फॉर्मेट में बदलाव किया।
Credit: canva
इस नए फॉर्मेट की वजह से लोगों की टाइपिंग स्पीड कम हुई लेकिन बटन के पिन्स आपस में उलझना बंद हो गए। तब से यही चलन आज तक बना हुआ है।
Credit: Twitter
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स