Jun 29, 2024
अक्सर आपने मुगल काल के राजाओं की तस्वीर में बाज को जरूर देखा होगा।
Credit: twitter/Istock
बाज अपनी कई विशेषताओं के लिए जाना जाता है, जैसे अपनी तेज नजर और हवा के विपरीत उड़ान भरना।
बाज की नजर मुहावरे में भी इस्तेमाल होता है यानी बाज की नजर काफी तेज होती है।
बाज की नजर बहुत तेज होती है और रफ्तार करीब 300 किमी प्रति घंटे हो सकती है।
मुगल काल में बाज पक्षी को प्रतिष्ठा और अभिजात वर्ग का प्रतीक माना जाता था, इसीलिए राजा महाराजा इसे रखते थे।
इतिहासकार ऐसा मानते हैं कि मुगल सम्राट जहांगीर के समय में ये प्रथा शुरू हुई थी।
हालांकि कई चित्रों में अकबर भी अपने हाथ में बाज लिए नजर आते हैं, यानी उस दौर में ही यह प्रथा शुरू हो चुकी थी।
इतिहासकारों के अनुसार उस दौर में सम्मान स्वरूप बाज एक-दूसरे को दिया जाता था।
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