Sep 4, 2023
मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के भोजन में देसी खाना शामिल रहता था। भोजन को लेकर गीता संदेश में उन्होंने कहा भी है कि जैसा अन्न वैसा मन।
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भोजन को लेकर उनका संदेश आज भी सेहत के लिए वरदान जैसा है। वह समय पर और सीमित मात्रा में खाने की बात कहते हैं।
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मान्यताओं के अनुसार, कान्हा का बचपन नंद गांव में ग्वालों के बीच बीता। वह खूब दूध पीते थे और अभी भी गाय का दूध बच्चों से लेकर बुजुर्गों को देने की सलाह दी जाती है।
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इससे बेहतर प्रोबायोटिक फूड दूसरा नहीं हो सकता। बेहतर पाचन, शरीर की गर्मी कम करने, आंतों का स्वास्थ्य अच्छा करने के लिए दही उपयोगी है।
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माना जाता है कि कान्हा फल खूब खाते थे और अमरूद उनको खासतौर पर प्रिय था। फ्रूट्स हमें फाइबर, नेचुरल शुगर और कई माइक्रोन्यूट्रिएंट्स देते हैं।
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कृष्ण जी को जो भोग लगता है, उसमें सूखे मेवे भी शामिल रहते हैं। ये शरीर को पोषण, एनर्जी और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स देते हैं जिससे सेहत दुरुस्त रहती है।
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ये हेल्दी फैट्स का सबसे अच्छा सोर्स है। दाल, रोटी, पराठा, सब्जी आदि के साथ रिफाइंड की जगह ताजा मक्खन खाएं। बच्चों की सही ग्रोथ के लिए तो ये और जरूरी है।
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मक्खन को पिघला देसी घी बनाया जाता है। घी शरीर के हर अंग के लिए उपयोगी माना जाता है।
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कान्हा को माखन के साथ रोटी खाना पसंद माना जाता है। उनके भोग में भी ये आइटम शामिल रहता है। रोटी से हमें ऊर्जा मिलती है और साथ ही जरूरी न्यूट्रिएंट्स भी।
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