Oct 5, 2024
पटियाला के महाराजा भूपेंद्र सिंह अपने गठीले और ताकतवर शरीर के लिए काफी ज्यादा चर्चित थे। महाराजा भूपेंद्र सिंह का वजन तकरीबन 136 किलो और उनका कद 6 फीट था।
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इतिहासकार बताते हैं कि महाराजा भूपेंद्र सिंह के हरम में 350 महिलाएं थीं। इन सभी महिलाओं पर सिर्फ महाराजा का ही हक हुआ करता था जो एकप्रकार से उनकी दासी ही थीं।
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जाने माने इतिहासकार लैरी कॉलिन्स ने महाराजा भूपेंद्र सिंह के बारे में लिखा था कि वो ताकत बढ़ाने के लिए तरह-तरह की देशी जड़ी-बूटियों को रोजाना लिया करते थे।
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महाराजा भूपेंद्र सिंह की ताकत के पीछे की वजह एक खास औषधि को भी बताया जाता है। इस औषधि को गौरैया के दिमाग को निकालकर उसमें बारीक गाजर मिलाकर बनाया जाता था।
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इतिहासकार बताते हैं कि महाराजा भूपेंद्र सिंह रोजाना दूध के साथ स्वर्ण भस्म भी लिया करते थे। ये एक खास तरह की भस्म थी जिसका निर्माण शरीर को ताकत देने के लिए किया जाता था।
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इतिहासकार बताते हैं कि उस दौर में राजा महाराजा और नवाब ताकत बढ़ाने के लिए खाने में एक खास तरह का भोजन लेते थे जिसे मुतंजन कहा जाता है।
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मुतंजन को बनाने के लिए काजू, किशमिश, बादाम और दूसरे मेवों को केसरी रंग के चावल में काफी देर तक पकाया जाता था। फिर खोया लगाकर इसे परोसा जाता था।
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आजकल के समय में दुकानों पर बिकने वाला मीठा चावल मुतंजन का ही परिष्कृत रूप है। दुकानों पर चांदी का वर्क लगाकर मीठे चावल को परोसा जाता है।
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ऐसे में ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि भारत में राजा, महाराजा, नवाब और निजाम के शौक निराले और सबसे अलग थे। इनके खाने में फल, सुपारी और अफीम भी शामिल थीं।
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