Nov 24, 2022
दिल्ली बेस्ड एनजीओ की चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है जिसमें सैनिटरी पैड से होने वाले खतरों के बारे में आगाह किया गया है। बताया गया है कि इससे कैंसर, डायबिटीज तक का खतरा हो सकता है।
Credit: Timesnow Hindi
स्टडी में 10 सैंपल के आधार पर बताया गया है कि जो केमिकल पैड्स में यूज किए जाते हैं उनमें फ्थैलेट्स होते हैं। यह स्टडी Menstrual Waste 2022 के नाम से प्रकाशित हुई है।
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फ्थैलेट्स की मदद से पैड्स की लेयर्स को जोड़ा जाता है और इनकी इलास्टिसिटी बढ़ती है। लेकिन इनके साइडइफेक्ट हानिकारक होते हैं।
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ये केमिकल हॉर्मोनल बैलेंस को बिगाड़ सकते हैं और इस वजह से दिल की बीमारी, डायबिटीज, प्रजनन क्षमता पर प्रभाव और यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है।
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पीरियड्स में सैनिटरी का प्रयोग आसान रहता है। लेकिन इसकी बजाय कुछ और ऑप्शन भी हैं जो हेल्दी और एन्वायरमेंट फ्रेंडली हैं। इनका प्रयोग करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें। हम ये जानकारी हेतु बता रहे हैं।
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ये इंडस्ट्रियल कॉटन से बने होते हैं और फ्लो के आधार पर इनका साइज चुना जाता है। हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि एक बार में 8 घंटे से ज्यादा टैंपून नहीं लगाने चाहिए।
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ये भी पैड्स यूज करने की जगह एक हेल्दी और सेफ ऑप्शन है। ये 12 घंटे तक फ्लो को होल्ड कर सकता है और एक बार खरीदने पर इसे 10 साल तक यूज किया जा सकता है।
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ये कई तरह के साइज में आते हैं और इनसे रैश भी नहीं पड़ता है।
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इनको नॉर्मल पैंटीज की तरह पहन सकती हैं जिनमें पीरियड फ्लो को बाहर आने से रोकने के लिए लेयर्स बनी होती हैं। इनको कम फ्लो वाले दिनों में पहन सकती हैं जैसे कि पहला और चौथा दिन।
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इनको स्पॉन्ज टैंपून्स भी कहते हैं। ये समुद्र से मिलने वाली नेचुरल स्पॉन्ज से बनती हैं और फ्लो को सोखने के लिए इनको वैजाइना में लगाया जाता है। इनका प्रयोग छह महीने तक कर सकते हैं और पानी व सिरके की मदद से ये आसानी से साफ हो जाती हैं।
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