Nov 30, 2022
हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य हर उम्र के लोगों के बीच इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना है।
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विश्व एड्स दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में की थी। इसके बाद प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है।
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एड्स का मरीज एड्स के कारण नहीं बल्कि एचआईवी के कारण होने वाली अन्य भयावह बीमारियों के चपेट में आकर उसकी जान चली जाती है।
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बता दें एड्स का पहला मामला 19वीं सदी के शुरुआत में जानवरों में पाया गया था।
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वहीं इंसानों की बात करें तो, साल 1959 में अफ्रीका के कांगो शहर में एड्स का पहला मामला सामने आया था, ब्लड चेकअप के करीब 4 साल बाद एचआईवी की पुष्टि हुई थी। कहा जाता है कि यही इंसान एचआईवी से संक्रमित पहला व्यक्ति था। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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वैज्ञानिकों की मानें तो एचआईवी चिंपैंजी से मनुष्य के शरीर में आया।
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कई बार लोग यह सोचकर बेफिक्र हो जाते हैं कि अब एड्स का कोई खतरा नहीं है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें आज भी भारत में प्रतिवर्ष करीब 60 हजार मामले एड्स के आते हैं।
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एचआईवी का सबसे बड़ा कारण असुरक्षित यौन संबंध बनाना है। इसके अलावा एड्स संक्रमितों के उपकरणों का प्रयोग करने से व्यक्ति इस भयावह बीमारी के चपेट में आता है।
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राज्य व केंद्र सरकार एड्स के प्रति जागरूकता अभियान चलाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करती हैं।
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