Nov 26, 2022
26/11 हमले के दौरान इनकी टीम को बंधकों को छुड़ाने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसे घायल होने के बाद भी NSG के इस जबांज ने पूरा कर दिखया था। अगर ये लोगों को आतंकियों के कब्जे से छुड़ाने मेंं नाकाम रहते तो शायद पाक अपने मंसूबों में कामयाब हो जाता।
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देश के इस वीर सपूत का जन्म केरल में हुआ था। शुरुआती पढ़ाई बेंगलुरु से हुई और फिर नेशनल डिफेंस एकेडमी के लिए इनका चयन हो गया। जहां इन्होंने सैन्य शिक्षा की पढ़ाई की।
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NDA से निकलने के बाद इन्हें बिहार रेजिमेंट की सातवीं बटालियन का लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया। ये कश्मीर से लेकर राजस्थान तक की सीमा पर तैनात रहे।
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मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने 1999 के कारगिल युद्ध में भी भाग लिया था। तब एक महत्वपूर्ण चौकी पर कब्जा करने में इनकी टीम ने सफलता हासिल की थी।
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साल 2007 में मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का एनएसजी में चयन हो गया। इसके बाद मेजर संदीप एनएसजी के कई ऑपरेशन में शामिल हुए।
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मुंबई हमले के दौरान जब आतंकियों ने ताज होटल पर कब्जा कर लिया, तब मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की टीम को बंधकों को छुड़ाने का जिम्मा दिया गया।
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मुंबई हमले के दौरान ही मेजर संदीप उन्नीकृष्णन शहीद हो गए थे, लेकिन शहीद होने से पहले उन्होंने आतंकियों को मार गिया। घायल होने के बाद भी वो आतंकियों से लड़ते रहे। शहीद होने के बाद उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
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पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब मुंबई हमलों के दौरान जिंदा पकड़ा गया था। इसी के पकड़े जाने के बाद पाकिस्तान के खतरनाक मंसूबों का पता चला था, जिसे मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जैसे वीरों ने नाकाम कर दिया था।
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