Mar 06, 2025
बलजी और भूरजी राजस्थान के सीकर जिले के पाटोदा गांव के रहने वाले थे।
Credit: Meta AI
इन दोनों भाइयों ने अपनी आन-बान और शान के लिए अंग्रेजों से बगावत की।
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दोनों भाइयों ने अंग्रेजों का बहादुरी से मुकाबला किया और उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया
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भूरसिंह अंग्रेजों की सेना में सूबेदार पद पर काम करते थे। अंग्रेजों का दुर्व्यवहार इनसे बर्दाश्त नहीं हुआ।
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एक दिन इन्होंने अपने अंग्रेज अफसर की हत्या कर दी और फरार हो गए।
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पटौदा गांव आकर ये घटना अपने बड़े भाई बलसिंह को सुनाया। इसके बाद दोनों एक साथ गांव से निकल गए।
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बागी होने पर दोनों अमीर और सेठ-साहूकारों को लूटना शुरू कर दिया। लूटा हुआ धन दोनों भाई गरीबों में बांट देते थे।
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अंग्रेजों को सबक सिखाने के ल���ए भूरजी ने नसीराबाद स्थित फिरंगी कार्यालय से उनका झंडा उतार लिया।
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भूरजी अंग्रेज अफसर की ड्रेन पहनकर गए थे। इसी झंडे को भूरजी अपने ऊंट की पूंछ से बांधकर रखने लगे।
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