Sep 1, 2023
BY: Ayush Sinhaराजनीति में चाचा भतीजे के विवाद में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की लड़ाई ने सबसे अधिक सुर्खियां बटोरी। मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश ने चाचा से अदावत मोल ली थी।
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साल 2016 से शुरू हुई लड़ाई यूपी चुनाव 2022 में थम गई। मुलायम सिंह यादव ने दोनों को करीब लाया और उनके निधन के बाद शिवपाल की पार्टी का सपा में विलय हो गया।
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महाराष्ट्र की सियासत में भी चाचा-भतीजे की जंग काफी मशहूर है। शरद पवार को उनके ही भतीजे अजित पवार ने गच्चा दे दिया और उनकी पार्टी एनसीपी के दो हिस्से हो गए।
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एनसीपी में साइडलाइन हो रहे अजित पवार ने चाचा से दूसरी बार बगावत कर ली और भाजपा के साथ सरकार में शामिल हो गए। सुप्रिया सुले के चलते अजित चाचा से नाराज थे।
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बिहार की सियासत में भी चाचा-भतीजे की लड़ाई ने काफी सुर्खियां बटोरी। रामविलास पासवान के निधन के बाद चाचा पशुपति पारस ने भतीजे चिराग पासवान को तगड़ा झटका दिया था।
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चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने में भाजपा ने अहम भूमिका निभाई। एनडीए की बैठक में दोनों शामिल हुए और गले मिले।
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चाचा-भतीजे की लड़ाई छत्तीसगढ़ में भी जारी है। भूपेश बघेल कांग्रेस के दिग्गज और राज्य के मुख्यमंत्री हैं तो उनके भतीजे विजय बघेल भाजपा से लोकसभा सांसद हैं।
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दुर्ग से सांसद विजय बघेल को भाजपा ने आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनके चाचा सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है।
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बिहार में नीतीश कुमार को तेजस्वी यादव अपना चाचा बताते हैं। आरजेडी और जेडीयू के बीच कई बार तकरार हुई और फिर दोनों साथ आए।
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जब नीतीश कुमार ने आरजेडी का साथ छोड़ा था और भाजपा के साथ चले गए थे तो तेजस्वी ने नीतीश को खूब भला बुरा कहा था। उन्होंने बोला था कि वो अच्छे चाचा नहीं हैं।
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