Aug 30, 2023
अंतरिक्ष में किसी भी उपग्रह को भेजने के लिए ‘लॉन्चिंग व्हीकल’ प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल किया जाता है। ये एक तरह के रॉकेट होते हैं जिनकी मदद से सैटलाइट लॉन्च किए जाते हैं।
Credit: Isro
भारत अंतरिक्ष में उपग्रहों एवं अंतरिक्षयान को ले जाने के लिए तीन लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल करता है।
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इनका नाम पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV), जिओसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) और जिओसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-III (एलवीएम 3) है।
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पीएसएलवी के भी कई प्रकार हैं। इनका चुनाव सैटेलाइट से साथ भेजे जाने वाले पेलोड के वजन एवं ऑर्बिट के हिसाब से होता है।
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PSLV रॉकेट का इस्तेमाल सभी तीन तरह के पेलोड अर्थ ऑब्जर्वेशन, जिओ-स्टेशनरी एवं नेविगेशन के लिए होता है।
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छोटे उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए भारत स्माल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) भी विकसित कर रहा है।
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GSLV का मतलब है भू- समकालिक (जियोसिंक्रोनस) प्रक्षेपण वाहन। जैसे-जैसे पृथ्वी घूमती है वैसे-वैसे ही ये सैटेलाइट घूमते हैं।
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कम्यूनिकेशन सैटलाइट, टेलीविजन सैटलाइट और कई अन्य सैटलाइट GSLV से ही भेजे जाते हैं। GSLV से भारी उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जाते हैं।
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भारत के चंद्रयान-3 को LVM-3/4 से रवाना किया गया जबकि आदित्य एल-1 को PSLV रॉकेट से छोड़ा जाएगा।
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