ED के तरकश में कितने तीर? जिस पर इतना हंगामा है बरपा
रामानुज सिंह
1947 में ही शुरू हो गई थी ED जैसी संस्था के निर्माण की प्रक्रिया
भारत को जब अंग्रेजों से आजादी मिली तब 1947 में फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट (विदेशी मुद्रा नियमन कानून) बना था। इसे वित्त मंत्रालय का डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स देखता था।
Credit: PTI/BCCL
1957 में इसका नाम पड़ा एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट
साल 1957 में इसका नाम बदलकर डायरेक्टोरेट ऑफ एनफोर्समेंट या एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट रखा गया। इसे ही अब ईडी कहते हैं।
Credit: PTI/BCCL
1960 में रेवेन्यू डिपार्टमेंट शिफ्ट हुई ईडी
साल 1960 में ED को रेवेन्यू डिपार्टमेंट में शिफ्ट कर दिया गया और तब से यह उसी में काम कर रहा है।
Credit: PTI/BCCL
आर्थिक अपराध और विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन की जांच की जांच करती है ईडी
ED या एंफोर्समेंट डायरेक्टरेट आर्थिक अपराध और विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन की जांच के लिए बनाई गई है।
Credit: PTI/BCCL
FEMA के तहत कार्रवाई करती है ईडी
ईडी फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के तहत कार्रवाई करती है।
Credit: PTI/BCCL
फाइनेंशियल फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले देखती है ईडी
ED आपराधिक कैटेगरी वाले फाइनेंशियल फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले भी देखने लगी है।
Credit: PTI/BCCL
प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 के तहत करती है कार्रवाई
प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 के तहत ईडी कार्रवाई करती है।
Credit: PTI/BCCL
हेराफेरी के दर्ज मामले पर कार्रवाई करती है ईडी
किसी थाने में हेराफेरी का मामला दर्ज होने पर पुलिस ED को इसकी जानकारी देती है।
Credit: PTI/BCCL
थाने की FIR कॉपी के आधार पर जांच करती है ईडी
इसके बाद ईडी थाने से एफआईआर या चार्जशीट की कॉपी लेकर जांच शुरू कर सकती है।
Credit: PTI/BCCL
ईडी के जद में कई विपक्षी नेता
ईडी ने कई विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई की है। वो जेल में भी बंद हैं।