Jul 8, 2023
साड़ी को स्त्रीत्व से जोड़ा गया है। इसे सुहाग की निशानी भी माना जाता है।
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साड़ी के इतिहास के लेकर कई मत हैं। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है इसका इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से है।
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2800 से 1800 ईसा पूर्व में आर्यों के भारत में प्रवेश के साथ 'वस्त्र' शब्द भी आया।
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आर्य जब दक्षिण की ओर से बढ़े तो कमर के चारों को कपड़ा लपेटने की शैली को अपना लिया।
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यह भी कहा जाता है कि यूनानी और फारसी ऐसे कपड़े पहनते थे जो कमर से कंधे तक जाते थे।
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इसे भारतीय महिलाओं ने अपने फैशन में मिक्स किया और फिर मुगल और ब्रिटिश काल में इसमें कई प्रयोग हुए।
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सबसे अहम बात यह है कि साड़ी का उल्लेख ऋगवेद में मिलता है। यज्ञ और हवन के समय महिलाओं को साड़ी पहनकर उपस्थिति रहना पड़ता था।
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