Jul 30, 2023
लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा के लिए बिहार की राह आसान नहीं होगी। इसलिए भाजपा ने अब चिराग पासवान और पशुपति पारस को एक साथ लाने की कवायद तेज कर दी है।
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हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर चाचा-भतीजे के बीच मनमुटाव जारी है। क्या भाजपा ने उस फॉर्मूले को तलाश लिया है, जिससे चिराग पासवान और पशुपति पारस की दूरियां कम की सकती हैं।
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लोजपा में रामविलास पासवान के वक्त जैसे हालात बनाने के लिए पशुपति पारस को मनाना बेहद जरूरी है। इसीलिए भाजपा की कोशिश दोनों नेताओं को साथ लाने की है।
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बीते कुछ दिनों से चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस के खिलाफ अपनी जुबान को काबू में कर रखा है, जो ये समझाने के लिए काफी है कि चिराग फूंक फूंककर कदम आगे बढ़ा रहे हैं।
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पशुपति पारस फिलहाल मोदी सरकार में मंत्री हैं, उन्हें भाजपा ऐसे समझाना चाहेगी कि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे। चाचा को समझाने के लिए भाजपा एक बड़ी पेशकश कर सकती है।
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भाजपा इस समझाइश में जुटी है कि रामविलास पासवान की तरह पशुपति पारस को भी राज्यसभा के रास्ते केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि ऐसा सूत्रों का दावा है।
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पशुपति पारस अगर मान जाते हैं तो चाचा-भतीजे का विवाद फिलहाल खत्म हो जाएगा। रामविलास पासवान के वक्त लोजपा ने लोकसभा चुनाव में 6 सीटों पर जीत हासिल की थी।
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कहा ये भी जा रहा है कि चिराग पासवान को उनकी मर्जी के हिसाब से हाजीपुर सीट देने पर भाजपा मुहर लगा सकती है। जिससे दोनों नेताओं के बीच विवाद खत्म हो सकता है।
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चिराग पासवान के हाव भाव से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा से उन्हें बड़ा भरोसा मिला है, तभी वो गठबंधन धर्म का पालन करने की अपील कर रहे हैं।
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