Aug 1, 2023
जिस वक्त अंग्रेज भारत आए थे, उस समय हमारे देश का नाम हिंदुस्तान था। अंग्रेजों को भारत का ये नाम बोलने में काफी परेशानी होती थी।
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अंग्रेजों को ये मालूम हुआ कि सिंधु घाटी भारत की सभ्यता है, जिसे इंडस वैली भी कहते हैं। लैटिन भाषा में इंडिया कहते हैं, तबसे वो भारत को इंडिया कहने लगे।
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कहा जाता है कि महाराज भरत ने भारत का संपूर्ण विस्तार किया था। उन्ही के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ गया था।
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मध्य काल में तुर्क और ईरानी सिंधु घाटी से भारत आए थे। वो स को ह करते थे। उन्होंने यहां के लोगों को हिंदू कहा और तब हिंदुओं के देश का नाम हिंदुस्तान हुआ।
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सिंधु नदी को इंडस के नाम से भी जाना जाता था। इंडस के किनारे विकसित सभ्यता को इंडस वैली सिविलाइजेशन कहा गया।
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भारत का पुराना नाम सिंधु भी था। सिंधु को ही यूनानी में इंडो या इंडस भी कहते थे। लैटिन भाषा में ये शब्द बदलकर इंडिया हो गया।
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आजादी के बाद जब देश का संविधान बन रहा था, तो भारत के नाम पर खूब माथापच्ची हुई। इस दौरान कई विकल्प सामने रखे गए।
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देश का नाम रखने के लिए कई प्रस्ताव आए। हालांकि संविधान के अनुच्छेद एक में लिखा गया कि 'इंडिया अर्थात भारत राज्यों का संघ होगा।'
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देश का नाम आजादी के बाद तय हुआ था। हालांकि राष्ट्रगान और तिरंगा पहले ही संविधान में तय हो गया था।
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आजादी की लड़ाई में भारत माता की जय के नारे लगते थे। संविधान में ये भी तय हुआ था कि देश में भारत माता की जय का नारा लगाया जाएगा।
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