दरकते जोशीमठ से आदि शंकराचार्य का रहा है नाता

Jan 11, 2023

By: Alok Rao

शंकराचार्य को यहां मिला ब्रह्म ज्ञान

मान्यता है कि आदि शंकराचार्य ने यहां शहतूत के पड़े के नीचे ब्रह्म ज्ञान प्राप्त किया था।

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भक्त प्रह्लाद ने यहीं तपस्या की

कहा जाता है कि यहां भगवान नृसिंह का मंदिर है जहां भक्त प्रह्लाद ने तपस्या की थी।

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जोशीमठ में अनेक कुंड हैं

जोशीमठ में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश, भृंगी, ऋषि, सूर्य के नाम पर अनेक कुंड हैं।

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आस्था का केंद्र है जोशीमठ

इन जगहों को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त एवं श्रद्धालु पहुंचते हैं।

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मलबे के ढेर पर बना है जोशीमठ

एक्सपर्ट का कहना है कि जोशीमठ भूस्खलन से इकट्ठा हुए मलबे के ढेर पर बना है।

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रिपोर्ट में आगाह किया गया था

1976 की एक रिपोर्ट में जोशीमठ में अनियंत्रित विकास होने पर आगाह किया गया था।

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कर्णप्रयाग के घरों में भी दरारें

जोशीमठ के बाद कर्णप्रयाग की इमारतों में भी दरारें नजर आई हैं।

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वह मंदिर अब टूट चुका है

शंकराचार्य ने जिस जगह साधना की थी उसके पास एक मंदिर है जो अब टूट चुका है।

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शहतूत के पड़े को कल्पवृक्ष नाम दिया

इस वजह से जोशीमठ का नाम ज्योतिर्धाम पड़ा। शहतूत के इस पड़े को कल्पवृक्ष नाम दिया गया है।

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