Jul 25, 2023
कारगिल विजय दिवस के मौके पर पूरा देश शहीद जवानों को याद कर रहा है। साल 1999 में भारत के वीर सपूतों ने युद्ध के मैदान में पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी थी। जवानों ने ऐसे नारे दिए, जो आज भी लोगों में जोश भर देते हैं।
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जब कारगिल के स्लोगन की चर्चा होती है, तो लिस्ट में लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, और कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम सबसे पहले आता है। आपको उनके चर्चित नारों को जानना चाहिए।
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विक्रम बत्रा से उनके एक दोस्त ने बोला कि 'अब तुम फौज में हो, अपना ध्यान रखना...' इसके जवाब में विक्रम ने उस वक्त उनसे जरूर वापस आने का वादा किया था।
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एक किताब 'द ब्रेव' में इसका जिक्र किया गया है कि विक्रम बत्रा ने अपने दोस्त से कहा था कि 'या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर तिरंगे में लिपटकर वापस आऊंगा, लेकिन मैं वापस जरूर आऊंगा।'
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परमवीर चक्र से सम्मानित लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने युद्ध के वक्त ऐसा बोला था कि 'अगर मेरे खून को साबित करने से पहले मौत आ जाए, तो मैं कसम खाता हूं कि मैं मौत को मार डालूंगा।'
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कारगिल की लड़ाई का सबसे जाना पहचाना चेहरा विक्रम बत्रा थे. उन्होंने अपना सक्सेस कोड रखा था, 'ये दिल मांगे मोर...' एक चौकी फतेह करने के बाद सुबह 4:35 बजे वायरलेस पर आवाज गूंजती है, 'ये दिल मांगे मोर'
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5140 चौकी फतह करने की जिम्मेदारी दो ऑफिसर को सौंपी गई थी, इनमें एक विक्रम बत्रा थे। कमांडिग ऑफिसर कर्नल योगेश जोशी ने जब विक्रम से उनकी सफलता का कोड पूछा तो उन्होंने बोला, 'ये दिल मांगे मोर...'
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1998 में अनुजा चौहान ने जेडब्ल्यूटी में पेप्सी के लिए एक विज्ञापन नारा गढ़ा था। जो था- ये दिल मांगे मोर! आज तक पेप्सी के कई सारे विज्ञापन आए, लेकिन ज्यादातर लोग विक्रम बत्रा को 'ये दिल मांगे मोर' से जानते हैं।
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कारगिल युद्ध का अंत 26 जुलाई 1999 को हुआ। हिंदुस्तान के सैनिकों ने पाकिस्तान को खदेड़ दिया। कारगिल युद्ध में विजय और शहीद जवानों के सम्मान में 26 जुलाई को विजय दिवस मनाया जाता है।
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