Jul 20, 2023
सर्दी और बरसात के मौसम में चाय की तलब ज्यादा महसूस की जाती है। फिर भी चाय पीने का कोई तय समय नहीं होता। घर हो या दफ्तर या बाजार चाय लोगों के जीवन का हिस्सा बन गया है।
Credit: BCCL
चाय के इतिहास की अगर बात करें तो चीन से इसकी शुरुआत हुई। चाय का इतिहास करीब 5 हजार साल पुराना है।
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चीन के सम्राट नाम सेन नुग्न शाम एक बार अपने सिपहसलारों के साथ गर्म पानी पी रहे थे। इसी दौरान उनकी चाय में झाड़ियों की कुछ पत्तियां गिर गईं।
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पत्तियों के गिरने से पानी का रंग सुनहरा हो गया और उसकी खुश्बू भी अच्छी हो गई। सम्राट ने यह गर्मी पानी पीया। पीने के बाद उन्हें ताजगी महसूस हुई।
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सम्राट नुग्न रोजाना पत्तियों को गर्म पानी में उबालकर पीने लगे। धीरे-धीरे उनके महल के लोग भी ऐसा करने लगे। फिर यह बात आम जनता तक पहुंची और फिर वह भी ऐसा करने लगी।
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चाय की खोज हो जाने के बाद यह चीन के लोगों का भी प्रिय पेय पदार्थ बन गया था। जब भी कोई विदेशी मेहमान चीन में आता था तो वह लोग उसे चाय पिलाते थे।
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जब भगवान महावीर ज्ञान प्राप्ति के मार्ग पर थे। वे बौद्ध भिक्षुओं से ज्ञान लेते समय उन्हें चाय के बारे में पता चला। वह भी अपने ध्यान के दौरान चाय की पत्तियों को चबाते थे जिससे उन्हें ताजगी महसूस होती थी।
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भारत में चाय लाने का श्रेय अंग्रेजों को जाता है। चीन से निकलने के बाद चाय जापान होते हुए इंग्लैंड पहुंची। इंग्लैंड के लोगों को चाय का स्वाद बहुत पसंद आया।
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असम के आम नागरिकों की सहायता से जंगलों में से चाय के पौधे को पहचान कर 1835 में इसका पहला बागान लगाया गया।
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