Sep 11, 2023

धरती से कितना दूर और सूरज के कितने पास है आदित्य एल 1

Alok Rao

सफलतापूर्वक अंजाम दिया

इसरो ने बताया कि अंतरिक्ष एजेंसी के बेंगलुरु स्थित ‘टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क’ (आईएसटीआरएसी) ने इस अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

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पृथ्वी से सबसे नजदीक और दूर

इसरो ने बताया कि प्राप्त की गई नई कक्षा 296 किलोमीटर x 71,767 किलोमीटर है। चौथी प्रक्रिया 15 सितंबर को होगी।

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दो सितंबर को हुआ रवाना

इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने दो सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य एल1 का सफल प्रक्षेपण किया था।

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सूरज के वातावरण का अध्ययन

‘आदित्य एल1’ भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (एल-1) में रहकर सूरज के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगी।

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आवश्यक वेग प्राप्त करेगा

इन प्रक्रियाओं को पृथ्वी के चारों ओर ‘आदित्य एल1’ की 16-दिवसीय यात्रा के दौरान अंजाम दिए जाने की जरूरत है, जब यान एल1 तक अपनी आगे की यात्रा के लिए आवश्यक वेग प्राप्त करेगा।

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​127 दिनों के बाद एल1 बिंदु पर पहुंचेगा​

इसरो ने प्रक्षेपण के तुरंत बाद कहा था कि ‘आदित्य एल1’ के लगभग 127 दिनों के बाद एल1 बिंदु पर इच्छित कक्षा में पहुंचने की संभावना है।

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एक और प्रक्रिया से गुजरेगा

आदित्य एल1 को लैग्रेंज बिंदु एल-1 की तरफ स्थानांतरण कक्षा में प्रवेश करने से पहले कक्षा संबंधी एक और प्रक्रिया से गुजरना होगा।

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3, 5 सितंबर को बदली गई कक्षा

आदित्य एल1 की कक्षा संबंधी पहली और दूसरी प्रक्रिया को क्रमशः तीन सितंबर और पांच सितंबर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया था।

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​सूर्य पर लगातार नजर रखेगा​

अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित यान को बिना किसी रुकावट या ग्रहण के सूर्य पर लगातार नजर रखने का लाभ मिलता है।

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