Jan 14, 2023

जानें, क्या है आईपीसी की धारा 420

ललित राय

बेईमानी या धोखेबाजी का मामला

जो कोई धोखा देता है और इस तरह बेईमानी से धोखेबाज व्यक्ति को किसी व्यक्ति को कोई संपत्ति देने के लिए प्रेरित करता है, या किसी मूल्यवान सुरक्षा या उसके किसी भी हिस्से को बनाने, बदलने या नष्ट करने के लिए, या हस्ताक्षरित या मुहरबंद कुछ भी हो सकता है।

Credit: iStock

गैर जमानती और संज्ञेय अपराध

भारतीय दंड संहिता ("आईपीसी") की धारा 420 के तहत एक अपराध सीआरपीसी की अनुसूची 1 के तहत संज्ञेय और गैर-जमानती है

Credit: iStock

जानबूझ कर चीट करता है आरोपी

भारतीय दंड संहिता की धारा 420 धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति के वितरण को उत्प्रेरित करने से संबंधित है।इस अपराध में यह माना जाता है कि आरोपी ने जानबूझकर धोखाधड़ी की है।

Credit: iStock

आरोपी को लेनी पड़ती है जमानत

आरोपी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में मुकदमा चलता है। अगर आरोपी को लगता है कि उसके साथ न्याय नहीं हुआ है तो वो उच्च अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।

Credit: PTI

सात साल की सजा और फाइन

धारा 420 के तहत आरोप सिद्ध होने पर आरोपी को सात साल की सजा या फाइन या दोनों का सामना करना पड़ता है।

Credit: iStock

आरोपी को खुद साबित करना होता है बेदाग

ट्रायल कोर्ट में जिरह के दौरान आरोपी को साबित करना होता है कि पीड़ित ने जो आरोप लगाए हैं वो तथ्यों से परे है।

Credit: PTI

सुप्रीम कोर्ट का रुख भी सख्त

जालसाजी के बढ़ते हुए मामलों पर सुप्रीम कोर्ट का भी रुख सख्त है। सुप्रीम कोर्ट का डायरेक्शन है कि 420 के मामलों का स्पीडी ट्रायल किया जाए

Credit: PTI

लाखों की संख्या में है 420 के मामले

देश में लाखों की संख्या में 420 के मामले दर्ज हैं। हाल के दिनों में आर्थिक मामलों से संबंधित मामलों में अपराधों की संख्या में इजाफा हुआ है।

Credit: iStock

Thanks For Reading!

Next: ये हैं भारत के सबसे पुराने रेस्टोरेंट, मुगलों-अंग्रेजों के समय से हैं फेवरेट