20 अक्टूबर, 2006 को तिहाड़ जेल के गेट नंबर-3 के बाहर एक टोकरी में सिर कटी लाश मिली। लाश के साथ एक धमकी भरी चिट्ठी भी बरामद हुई।
Credit: Twitter
सिर कटी लाश के साथ मिली चिट्ठी में दिल्ली पुलिस को खुली चुनौती दी गई। इस चिट्ठी में लिखा था कि 'हिम्मत है तो पकड़कर दिखा'।
Credit: Twitter
तिहाड़ जेल के गेट नंबर-3 के बाहर उसी जगह अप्रैल, 2007 को एक और लाश मिली। इस लाश का भी सिर और हाथ-पैर गायब था।
Credit: Twitter
एक महीने बाद मई 2007 में भी एक और सिर कटी लाश बदामद हुई। सीरियल किलर ने सभी मृतकों का सिर यमुना नदी में फेंक दिया था।
Credit: Twitter
तिहाड़ जेल के बाहर लाशों को रखने वाला खूंखार क्रिमिनल बिहार के मधेपुरा का रहने वाला चंद्रकांत झा था। जो पुलिस को खुली चुनौती दे रहा था।
Credit: Twitter
सारी चिट्ठियां हिंदी में लिखी गई थीं। अपराधी अंत में 'दिल्ली पुलिस का जीजा या दिल्ली पुलिस का बाप' और अपना नाम- 'सीसी' लिखता था।
Credit: Twitter
तफ्तीश में ये बात सामने आई कि चंद्रकांत झा दिल्ली पुलिस के एक हवलदार से नाराज था, क्योंकि उसने तिहाड़ जेल के भीतर उसके साथ बदसलूकी की थी।
Credit: Twitter
खुद के साथ जेल में हुई बदसलूकी की वजह से चंद्रकांत झा तिहाड़ जेल के गेट पर लाश रखकर दिल्ली पुलिस को परेशान करके, बदला लेना चाहता था।
Credit: Twitter
चंद्रकांत झा ने एक सवाल के जवाब में खुद ये बताया था कि उसने सिर्फ 4 लोगों को नहीं मारा और भी लोग हो सकते हैं। फिलहाल वो जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है।
Credit: Twitter
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स