Jul 21, 2023
निकाह हलाला के नाम पर मुस्लिम महिलाओं की अस्मत लूटने का सिलसिला काफी पुराना है। इस्लामिक प्रथा की आड़ में न जाने कितनी महिलाओं की मजबूरियों का फायदा उठाया जाता है।
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इस्लामी कानून (मुस्लिम पर्सनल लॉ) के प्रावधानों के तहत निकाह हलाला से जुड़े ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें शादी बचाने के लिए महिला के साथ यौन संबंध स्थापित किए जाते हैं।
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निकाह हलाला प्रथा में मौलवी महिलाओं की मजबूरी का फायदा उठाते हैं। निकाह हलाला की विवादित प्रक्रिया का हिस्सा बनने के एवज में लाखों रुपये की उगाही के मामले सामने आते रहे हैं।
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यदि किसी मुस्लिम महिला के शौहर ने अपनी बेगम को तीन तलाक दे दिया हो और अगर महिला उसी व्यक्ति से दोबारा निकाह करना चाहती है, तो महिला को पहले किसी दूसरे शख्स से शादी कर एक रात गुजारनी पड़ती है।
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महिला किसी दूसरे शख्स से निकाह करने और एक रात गुजारने के बाद उस दूसरे शख्स से महिला को तलाक लेना होता है। दूसरे शख्स से तलाक होने के बाद ही वो अपने पहले पति के साथ दोबारा निकाह कर सकेगी।
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दूसरे पति को तलाक देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, वो अगर तलाक नहीं देना चाहे तो दोनों को जिंदगी साथ बितानी पड़ती है। अगर दूसरे पति की मौत हो जाती है या उसने तलाक दे दिया, तब महिला पहले शौहर से निकाह कर सकती है।
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कई इस्लामिक स्कॉलर्स कहते हैं कि मौलवियों ने अपने मर्जी से हलाला के इस नियम को तोड़ा-मरोड़ा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस्लाम में हालाला हराम है। तीन तलाक के बाद पुरुष उस महिला से दोबारा निकाह नहीं कर सकता है।
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नियम में ये शर्त भी रखी गई है कि जानबूझकर अगर कोई दूसरे शख्स से शादी के बाद तलाक लेता है और उसके बाद महिला पहले शौहर से शादी करती है, तो इसे हराम माना जाएगा। मौलाना ही हलाला की सलाह दिया करते हैं।
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हालांकि इस अमानवीय प्रथा पर कई मुस्लिम देशों ने बैन लगा रखा है। मगर भारत, पाकिस्तान, ब्रिटेन समेत कुछ अन्य देशों में ये प्रथा अभी भी चल रही है। भारत में यदि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू किया जाता है तो हलाला को बड़ा झटका लग सकता है।
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