Aug 20, 2023
ओशो कौन हैं? यह सवाल आज भी लाखों लोगों के मन में उठता है। किसी के लिए ओशो संत थे, शक्ति थे तो किसी के लिए सिर्फ एक व्यक्ति।
Credit: Social-Media
ओशो का पूरा जीवन रहस्यों से भरा रहा। आध्यात्म और दर्शनशास्त्र पर उनकी बातें दुनिया के परे थीं। रोचक बात तो यह है कि उनकी मृत्यु भी आज तक एक रहस्य ही है।
Credit: Social-Media
एक वक्त था कि आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों का लोगों पर इतना असर हुआ कि अमेरिका और यूरोप ने भी उनकी बातों का लोहा मानना शुरू कर दिया।
Credit: Social-Media
ओशो की बातें सीधे लोगों के दिलों तक जाती थीं। यही कारण था कि देश से लेकर विदेश तक में उनको सुनने वाले थे।
Credit: Social-Media
कहते हैं ओशो ने अपने पूरे जीवन में 1.5 लाख किताबों को पढ़ा था। उन्होंने अपनी एक लाइब्रेरी भी बनाई थी, जिसका नाम लाआत्सु पुस्तकालय है।
Credit: Social-Media
ओशो ने 160 मस्ट रीड किताबों का जिक्र किया है। उन्होंने कहा था कि इन किताबों ने उन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। इन किताबों के बारे में उन्होंने डिटेल में लिखा है।
Credit: Social-Media
सबसे ज्यादा रोचक बात यह है कि 1.5 लाख किताबें पढ़ने वाले ओशो ने अपने पूरे जीवन में बस एक हिंदी किताब पढ़ी थी।
Credit: Social-Media
ओशो ने जिस हिंदी किताब को पढ़ा था, वह सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' की 'नदी के द्वीप' है।
Credit: Social-Media
ओशो इस किताब को योगियों की किताब कहते थे। उन्होंने कहा है कि पता नहीं इस हिंदी उपन्यास का अब तक अंग्रेजी में अनुवाद क्यों नहीं हुआ।
Credit: Social-Media
Thanks For Reading!
Find out More