Oct 4, 2023
जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और कर्नाटक में लिथियम भंडार की खोज के महीनों बाद अब झारखंड में भी इस खनिज का भंडार मिला है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET) ने झारखंड के कोडरमा और गिरिडीह में इस खनिज के बड़े भंडार की मौजूदगी की खोज की है।
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'सफेद सोना' के रूप में जाना जाने वाला लिथियम जलवायु परिवर्तन के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बढ़ती मांग के बीच वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक मांग वाले खनिजों में से एक है।
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झारखंड पहले से ही यूरेनियम, अभ्रक, बॉक्साइट, ग्रेनाइट, सोना, चांदी, ग्रेफाइट, मैग्नेटाइट, लोहा, तांबा (भारत का 25 प्रतिशत), कोयला (भारत का 32 प्रतिशत) के भंडार के लिए जाना जाता है।
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दुनिया में केवल कुछ ही देशों के पास लिथियम के भंडार हैं, चाहे वह साल्ट लेक ब्राइन के रूप में हो या खदानों के रूप में। चीन का इस पर एकाधिकार है।
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इसे पहली बार 1999 में जम्मू और कश्मीर में खोजा गया था, लेकिन तब लिथियम का इस कदर इस्तेमाल नहीं होता था और इसकी मांग भी नहीं थी।
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आज जलवायु परिवर्तन ने हालात को पूरी तरह बदल दिया है और लिथियम अचानक इलेक्ट्रिक वाहन और हर तरह की बैटरी भंडारण के लिए सबसे अधिक मांग वाली धातु बन गया है।
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ये पूरी इकोनॉमी को बदलकर रखने की क्षमता रखता है। यह महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर भारत की ऊर्जा सुरक्षा में सुधार कर सकती है।
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लिथियम भंडार हरित परिवहन और हरित ऊर्जा अपनाने में तेजी लाकर भारत को अपने शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद कर सकता है।
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