Oct 29, 2022
पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं दिल्ली एनसीआर के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं, क्योंकि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) तेजी से बिगड़ सकता है।
Credit: BCCL
पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रतिकूल वायु गुणवत्ता में पराली जलाने का योगदान तेजी से बढ़ रहा है और वर्तमान में करीब 18-20 प्रतिशत है और इस प्रवृत्ति के और बढ़ने की संभावना है।
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मानक इसरो प्रोटोकॉल के अनुसार इस साल 15 सितंबर से 28 अक्टूबर की अवधि के लिए, पंजाब में पिछले वर्ष की इसी अवधि के 7,648 की तुलना में कुल 10,214 धान अवशेष जलाने की घटनाओं की सूचना मिली है। पराली जलाने की घटना में 33.5 प्रतिशत इजाफा हुआ।
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वर्तमान धान कटाई के मौसम के दौरान करीब 71 प्रतिशत खेत में आग लगने की सूचना केवल 7 जिलों अर्थात् अमृतसर, संगरूर, फिरोजपुर, गुरदासपुर, कपूरथला, पटियाला और तरनतारन से हुई है। ये पंजाब में पारंपरिक हॉट-स्पॉट जिले हैं और केंद्रित हैं।
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केंद्र सरकार ने अपनी सीआरएम योजना के माध्यम से अकेले पंजाब को करीब 1,347 करोड़ रुपए चालू वर्ष समेत पिछले 5 वित्तीय वर्षों के दौरान उपलब्ध कराए। सीआरएम योजना के तहत किए गए आवंटन के माध्यम से पंजाब द्वारा धान के ठूंठ के इन-सीटू और एक्स-सीटू मैनेजमेंट की सुविधा के लिए कृषि मशीनरी की खरीद की गई।
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पंजाब में पराली जलाने के कुल 10,214 मामलों में से, पिछले 7 दिनों में ही 7,100 घटनाएं हुई हैं, जो करीब 69 प्रतिशत है।
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कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) के निर्देशों के तहत, पंजाब सरकार द्वारा एक व्यापक कार्य योजना तैयार की गई थी, जिसमें अन्य फसलों के विविधीकरण, कम पुआल पैदा करने वाले और जल्दी पकने वाली धान की किस्मों के विविधीकरण के रूप में कार्रवाई के प्रमुख स्तंभ थे।
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