Jul 13, 2023
दिल्ली के अंतिम हिन्दू शासक की पराजय के तत्काल बाद 1193 में कुतुबुद्धीन ऐबक ने 73 मीटर ऊंची विजय मीनार के रूप में निर्मित कराया गया। इस इमारत की पांच मंजिलें हैं।
Credit: PTI
यह मीनार लाल पत्थर और मार्बल से बनी हुई है, इसका व्यास 14.32 मीटर तल से और 2.75 मीटर चोटी से है। मीनार के अंदर गोल सीढ़ियां बनाई गई हैं। तल से लेकर ऊंचाई तक कुल 379 सीढ़ियां हैं।
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कुतुब मीनार के आस-पास के एरिया को कुतुब कॉम्पलेक्स के नाम से जाना जाता है, और यह पूरा एरिया वर्ल्ड हेरिटेज साइट के अंतर्गत आता है।
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कहा जाता है कि 1369 में इस मीनार की सबसे ऊंची मंजिल पर आसमानी बिजली गिरने के कारण इसकी ऊपरी मंजिल टूट गई थी। इसी कारण फिरोज शाह तुगलक ने फिर से कुतुब मीनार का मरम्मत कराया।
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कुतुबमीनार का निर्माण विवादपूर्ण है कुछ मानते है कि इसे विजय की मीनार के रूप में भारत में मुस्लिम शासन की शुरूआत के रूप में देखा जाता है। कुछ मानते है कि इसका निर्माण मुअज्जिन के लिए अजान देने के लिए किया गया है।
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कुतुबुद्धीन इसका आधार ही पूरा कर पाए थे। इनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसकी तीन मंजिलें बनाई और 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने पांचवीं और अंतिम मंजिल बनवाई थी।
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मीनार के निकट भारत की पहली क्वातुल-इस्लाम मस्जिद है। यह 27 हिन्दू मंदिरों को तोड़कर इसके अवशेषों से निर्मित की गई है।
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साल 1974 में जब कुतुब मीनार में आम लोगों को एंट्री दी जाती थी। लेकिन 4 दिसंबर 1981 में लोगों के साथ एक भयानक हादसा हुआ, जिसकी वजह से अंदर भगदड़ मच गई और करीबन 45 लोगों की मौत हो गई।
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तभी से कुतुब मीनार के अंदर जाना बंद कर दिया गया इसे जब भी खोलने पर विचार किया गया तो कोई ना कोई हादसा हुआ इसलिए इसे सरकारी तौर पर बंद कर दिया गया।
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