Sep 30, 2024

जब ट्रेनों में मिलता था हिंदू-मुस्लिमों के लिए अलग-अलग पानी और चाय

Ravi Vaish

​भारत में ट्रेन का सफर​

भारत में ट्रेन का सफर तो सभी ने किया है, ये दूरियों को नापकर आपको मंजिल तक पहुंचाती

Credit: canva_social-media

​खाने-पीने का सामान ट्रेन के अंदर मिलता है आराम से​

ट्रेन के अंदर खाने-पीने का भी सामान आराम से मिलता है जिसे रेलवे वेंडरों के माध्यम से मुहैय्या कराती है, ऑनलाइन फूड बुकिंग की सुविधा भी खूब है

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​​तब ट्रेन का नेटवर्क बेहद सीमित था​

​पर आजादी से पहले ऐसा नहीं था तब ट्रेन का नेटवर्क भी बेहद सीमित था और चाय-पानी की व्यवस्था भी बेहद कम थी​

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​रेलगाड़ी में हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग चाय पानी​

आजादी के पूर्व तमाम रीति रिवाज ट्रेनों में भी चलते थे और रेलगाड़ी में हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग चाय पानी होता था

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​हिंदू और मुस्लिम के लिए अलग-अलग इंतजाम!​

रेलवे के दस्तवेजों के मुताबिक धार्मिक भावनाओं को देखते हुए हिंदू और मुस्लिम के लिए अलग-अलग इंतजाम किया गया था

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​यात्रा के दौरान छुआछूत की समस्या​

तब यात्रा के दौरान छुआछूत से समस्या थी इसलिए अलग-अलग धर्म के लोगों को पानी पाड़े (पानी पिलाने वाले कर्मचारी) की व्यवस्था की गई थी

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​ट्रेनों में घूमकर चिल्लाते थे 'हिंदू पानी-मुस्लिम पानी'​

पानी पिलाने के लिए हिंदू और मुस्लिम के लिए पानी पाड़े भी अलग हुआ करते थे जो ट्रेनों में घूमकर चिल्लाते थे 'हिंदू पानी-मुस्लिम पानी'

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​रेलवे स्टेशनों पर हिंदू और मुस्लिम टी-स्टॉल​

ट्रेन चलने के शुरुआती दिनों में रेलवे स्टेशनों पर हिंदू और मुस्लिम टी-स्टॉल हुआ करते थे

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​'सत्य के प्रयोग' में साल 1915 की एक ऐसी ही घटना​

महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा 'सत्य के प्रयोग' में साल 1915 की एक ऐसी ही घटना का जिक्र किया है

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आजादी के बाद धीरे-धीरे बदलाव आया और अब ऐसा कुछ भी नहीं​

इस स्थिति में आजादी के बाद धीरे-धीरे बदलाव आया एक ही तरह के खानपान के स्टॉल पर सारे जाति धर्म के लोग चाय और पानी पीने लगे

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