Nov 13, 2024

चित्तौड़गढ़ : यहां एक बार नहीं, रानियों ने किया 3 बार जौहर

Alok Rao

आग में कूद जाती थीं

आत्मरक्षा और स्वाभिमान को बचाने के लिए राज परिवार की महिलाएं दुल्हन की तरह सजकर एक साथ आग में कूद जाती थीं।

Credit: Meta-AI

चित्तौड़गढ़ में 3 बार हुआ जौहर

इसे जौहर प्रथा कहा जाता था। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में एक बार नहीं बल्कि तीन बार जौहर हुआ।

Credit: Meta-AI

इसलिए जौहरगढ़ भी कहा जाता है

तीन बार रानियों के आग में कूदने की वजह से चितौड़गढ़ को जौहर गढ़ भी कहा जाता है।

Credit: Meta-AI

साल 1303 में पहला जौहर

चित्तौड़गढ़ में सबसे पहले जौहर रानी पद्मिनी ने साल 1303 में किया।

Credit: Meta-AI

16 हजार क्षत्राणियों ने किया जौहर

दिल्ली के सम्राट अलाउद्दीन खिलजी से बचने के लिए पद्मिनी ने 16 हजार क्षत्राणियों के साथ जौहर किया।

Credit: Meta-AI

साल 1535 में दूसरा जौहर

साल 1535 में बहादुर शाह ने चित्तौड़गढ़ पर हमला किया। तब रानी कर्णावती ने जौहर किया।

Credit: Meta-AI

1568 में तीसरी बार जौहर

इसके बाद 1568 में मुगल बादशाह अबकर ने जब चित्तौड़गढ़ पर हमला किया तो रानी फूल कंवर ने हजारों महिलाओं के साथ जौहर किया।

Credit: Meta-AI

जौहर प्रथा पर रोक लगी

अंग्रेजों ने बाद में फिर इस प्रथा पर रोक लगा दी।

Credit: Meta-AI

हर साल श्रद्धांजलि समारोह

इन रानियों के बलिदान को याद रखने के लिए चित्तौड़गढ़ में हर साल श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जाता है।

Credit: Meta-AI

Thanks For Reading!

Next: ​CISF की पहली महिला रिजर्व बटालियन को मंजूरी, इनके तेवरों से घबराएगा दुश्मन​