राणा सांगा: वो वीर जिसके एक आंख और एक हाथ भी नहीं, पर कांपते थे दुश्मन

राणा सांगा: वो वीर जिसके एक आंख और एक हाथ भी नहीं, पर कांपते थे दुश्मन

Ravi Vaish

Apr 03, 2025

​भारत का इतिहास ​

​​भारत का इतिहास ​​

भारत का इतिहास एक से एक बहादुर योद्धाओं की वीरता के किस्सों से भरा हुआ है

Credit: wikimedia/social media

राणा सांगा का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित

​राणा सांगा का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित​

​बता दें कि इतिहास में राणा सांगा का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है उनके युद्ध में 80 घाव लगने की गौरव गाथा राजस्थान में बड़े सम्मान के साथ गाई जाती है।

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​'इसकी अस्सी घावों वाली गाथा कितनी यशवर्धक...​

​​'इसकी अस्सी घावों वाली गाथा कितनी यशवर्धक...​​

'इसकी अस्सी घावों वाली गाथा कितनी यशवर्धक है, राणा सांगा की अरिनाशक जय निष्ठा कीर्ति विवर्धक है...' कवि नरेंद्र मिश्र की ये पंक्तियां राणा सांगा की वीरता को बताती है

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​​राणा सांगा का बायां हाथ तलवार से कट गया था​​

साल 1517 में राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी के खिलाफ खतौली की लड़ाई लड़ी थी, राणा सांगा की वीरता देख इब्राहिम लोदी युद्ध भूमि छोड़कर भाग गया था इसी युद्ध में राणा सांगा का बायां हाथ तलवार से कट गया था

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​राणा सांगा को 80 घाव आए थे​

1527 में खानवा में बाबर और राणा सांगा के बीच जोरदार युद्ध हुआ, इस युद्ध में राणा सांगा को 80 घाव आए थे, लेकिन इसके बाद भी राणा सांगा ने ने युद्ध नहीं रोका

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​तंबू भी उखाड़ लिए थे​

बाबर के खिलाफ उन्होंने दो निर्णायक लड़ाइयां लड़ीं 1527 को में बयाना हुई युद्ध में उन्होंने जीत हासिल की और हथियार, गोला-बारूद के साथ ही तंबू भी उखाड़ लिए थे

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​विजय मिलने के बाद सबूत के तौर पर​

इतिहासकारों के मुताबिक बताते हैं कि महाराणा सांगा जब भी युद्ध करने के लिए जाते थे, तो वहां विजय मिलने के बाद सबूत के तौर पर शत्रुओं का तंबू उखाड़ कर अपने साथ ले आते थे

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​​उनके दौर में कई परंपरा शुरू हुईं​​

बताते हैं कि उनके दौर में कई परंपरा शुरू हुईं, मेवाड़ के दस्तावेज पर पूर्व में महाराणाओं के हस्ताक्षर होते थे, पर राणा सांगा दस्तावेजों पर हस्ताक्षर नहीं करते थे, बल्कि उसकी जगह सही लिखते थे

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​सहयोगियों ने ही राणा सांगा को जहर दे दिया ​​

कहा जाता है कि जब राणा सांगा बाबर के खिलाफ एक और युद्ध लड़ने की तैयारी कर रहे थे तब उनके सहयोगियों ने ही राणा सांगा को जहर दे दिया था, 1528 को उनका निधन हो गया

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