Jan 11, 2023
By: प्रशांत श्रीवास्तवउत्तराखंड के जोशीमठ में कल्प वृक्ष स्थित है, जो कि शहतूत का पेड़ है।
ऐसी मान्यता है कि आदि गुरू शंकराचार्य ने इसी पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या की थी और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
आदि गुरू शंकराचार्य जोशीमठ में 8 वीं शताब्दी के दौरान कल्प वृक्ष के नीचे तपस्या की थी। ऐसे में इस पेड़ की आयु 1200 साल से ज्यादा पुरानी मानी जाती है। कुछ का मत है कि इस वृक्ष की आयु 2000 साल से ज्यादा है।
रिपोर्ट के अनुसार22 मीटर व्यास वाले इस कल्पवृक्ष (शहतूत का पेड़) की ऊंचाई करीब 170 फीट है। इसकी खास बात यह कि इस पर फूल तो खिलते हैं, मगर फल नहीं आते हैं।
आदि गुरु शंकराचार्य ने इसी वृक्ष के नीचे शंकर भाष्य, धर्मसूत्र' सहित कई ग्रंथों की रचना की। यही नहीं उन्होंने बद्रीनाथ धाम में नारद कुंड से भगवान बद्री विशाल की मूर्ति निकालकर उसे फिर से मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया।
ऐसी मान्यता है कि जोशी मठ में ही भविष्य का बद्री धाम स्थापित होगा। जहां तक कल्प वृक्ष की बात है तो मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उसका तना खोखला है। ऐसे में उम्र का सही अंदाजा लगाना मुश्किल है।
जोशीमठ में नरसिंह मंदिर स्थित है। जिसका भक्त प्रह्लाद की पौराणिक कहानी से नाता है।
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