Jun 15, 2023
समान नागरिक संहिता को लेकर भारत में बहस का दौर पहले भी चलता रहा है। लेकिन अब लॉ कमीशन ने 30 दिनों के अंदर तमाम संगठनों से सुझाव मांगा है।
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समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर मुस्लिम संगठन ऐतराज उठाते हैं। उनका कहना है कि इस तरह के किसी भी कदम से उनकी धार्मिक आस्था प्रभावित होगी।
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इजिप्ट, अफ्रीका महाद्वीप में है। इस मुल्क में समान नागरिक संहिता पहले से लागू है। इस कानून को जिस तरह से मुस्लिम आबादी ने स्वीकार किया ठीक वैसे ही अल्पसंख्यक आबादी ने भी स्वीकार किया।
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दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित मलेशिया को प्रगतिशील समाज माना जाता है। जब सरकार ने समान नागरिक संहिता को लागू करने का फैसला किया तो अल्पसंख्यक समाज की तरफ से विरोध नहीं किया गया।
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अफ्रीका महाद्वीप में स्थित नाइजीरिया के समाज को रूढ़िवादी माना जाता है। यहां की सरकार ने जब समान नागरिक संहिता को लागू करने का फैसला लिया तो थोड़ा बहुत विरोध हुआ। लेकिन बाद में अल्पसंख्यक समाज ने फैसले को स्वीकार कर लिया।
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बात अगर भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की करें तो धार्मिक आधार पर बने इस देश ने समान नागरिक संहिता को लागू किया। पाकिस्तान के नीति नियंताओं ने कहा कि धर्म आधारित सिविल कानूनों का कोई अर्थ नहीं है।
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बात अगर सऊदी अरब की करें तो यहां पर भी समान नागरिक संहिता लागू है। इस संहिता को जब अमल में लाया गया तो बहुसंख्यक आबादी के साथ साथ अल्पसंख्यकों की आबादी ने भी खुशी खुशी कानून को स्वीकार कर लिया।
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तुर्की वैसे तो मुस्लिम देश है। लेकिन यहां के समाज पर पश्चिमी मुल्कों का प्रभाव ज्यादा है। तुर्की में भी समान नागरिक संहिता लागू है। यहां जब सरकार ने इसे लागू करने का फैसला किया तो किसी भी तबके ने विरोध नहीं किया।
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