May 01, 2025
14 सितंबर, 1857 को अंग्रेजों के हाथों सत्ता गंवाने के बाद और मुगल साम्राज्य के पतन के बाद मुगलों का क्या हुआ था?
Credit: Meta AI/Wikimedia
एक शहजादे के भीख मांगने का जिक्र ख्वाजा हसन निजामी (1873-जुलाई 1955) की किताब 'बेगमात के आंसू' में मिलता है।
Credit: Meta AI/Wikimedia
इस शहजादे का नाम मिर्जा नासिर-उल मुल्क था। अंग्रेजों से बचने के बाद उसने शाहजहानाबाद में अपनी बहन के साथ एक व्यापारी के घर में नौकरी कर ली थी।
Credit: Meta AI/Wikimedia
बाद में जब अंग्रेजों की सरकार बनी, तो दोनों को पांच रुपये महीने की पेंशन मिलने लगी। तब उन्होंने नौकरी छोड़ दी लेकिन बाद में पेंशन बंद करने पर कर्ज में डूब गए।
Credit: Meta AI
कुछ सालों बाद एक पीर बाबा दिखने लगे , जो दिखने में खानदानी लगते थे और चितली कब्र और कमर बंगाश के इलाके में दिखाई देते थे।
Credit: Meta AI/Wikimedia
वो ठीक से चल भी नहीं सकते थे। उनके गले में एक झोला होता था और वो आने-जाने वालों से चुपचाप मदद मांगते थे।
Credit: Meta AI/Wikimedia
किसी ने उनके बारे में पूछा तो बताया गया कि उनका नाम मिर्जा नासिर-उल-मुल्क है और वो बहादुरशाह के पोते हैं।
Credit: Meta AI/Wikimedia
बहादुरशाह जफर की बेटी कुरैशिया बेगम का बेटा भी शाहजहानाबाद की गलियों में भीख मांग रहा था, जिसका नाम मिर्जा कमर सुल्तान बहादुर था।
Credit: Meta AI/Wikimedia
वो सिर्फ रातों में निकलता था, क्योंकि दिन में जब उसे जानने वाले उसे देखते थे, तो उसे सलाम करते थे और उन्हें इस बात से शर्म आती थी।
Credit: Meta AI/Wikimedia
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स