Jan 23, 2024
इन दिनों पूरे उत्तर भारत में ठंड और कोहरे का कहर जारी है और इसने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार में कड़ाके की ठंड पड़ रही है।
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ऐसे में सवाल उठता है कि विश्व के अधिकतर देशों में दिसंबर-फरवरी के महीनों में प्रचंड ठंड क्यों पड़ती है और हमारे देश में खास तौर पर उत्तर भारत में शीतलहर क्यों चलती है?
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दरअसल, ज्यादा ठंड पड़ने की एक वजह धरती का भूगोल भी है। सर्दियों के मौसम में सूर्य की पृथ्वी से दूरी बढ़ जाती है। इससे सूरज की रोशनी ठीक से नहीं पहुंच पाती।
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धरती सूर्य के चारों ओर परवलयाकार कक्षा में चक्कर लगाती है। ऐसे में हर वक्त पृथ्वी से सूर्य की दूरी एकसमान नहीं रह पाती है। दिसंबर से फरवरी के महीने में ऐसा होता है।
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चक्कर लगाते वक्त जिस समय पृथ्वी सूर्य से अधिक दूर चली जाती है, धरती पर सर्दियां शुरू हो जाती हैं। दूरी और बढ़ने पर कड़ाके की ठंड पड़ना शुरू हो जाती है।
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उत्तर भारत के इलाके पृथ्वी की अक्षांश रेखा के नजदीक हैं। अक्षांश रेखा तय करती है कि किसी स्थान पर को सूरज की कितनी रोशनी और ऊर्जा मिलेगी। अक्षांश रेखा के नजदीक वाली जगहों में अधिक ठंड पड़ती है।
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वहीं, पश्चिमी विक्षोभ भी उत्तर भारत में हाड़कंपाती ठंड की बड़ी वजह बनती है। पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यसागर और अटलांटिक महासागर से नमी लेकर उत्तर भारत पहुंचती हैं।
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जब ये नम हवाएं उत्तर भारत में हिमालय से टकराती हैं तो ठंड में बर्फबारी या बारिश करती हैं। हिमालय से निकलने वाली बर्फीली हवाएं पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड का सबब बनती हैं।
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