चांद के गड्ढों को कौन देता है नाम?

प्रांजुल श्रीवास्तव

Aug 28, 2023

चंद्रयान-3 ने जब चांद की सतह को चूमा तो भारत ने इतिहास रच दिया। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बना।

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चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने जिस जगह पर अपने कदम रखे, उसे शिव शक्ति प्वाइंट नाम दिया गया।

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चंद्रयान-2 का लैंडर जहां क्रैश हुआ था उसे तिरंगा प्वाइंट नाम दिया है।

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आप जानना चाहते होंगे कि चांद की सतह पर यह नामकरण कैसे किया जाता है? हम आपको बताते हैं।

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इंसान ने जब से चांद पर अपने खोज अभियान शुरू किए हैं, तब से चांद की सतह के नामकरण की वैज्ञानिक परंपरा है।

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1919 में इसके लिए इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) की स्थापना की गई थी, यह खगोलीय पिंडों के नामकरण को मानकीकृत करने वाली नोडल संस्था है।

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जब किसी ग्रह या उपग्रह की सतह की पहली तस्वीरें प्राप्त की जाती हैं, तो इनका नामकरण किया जाता है। IAU इन नामों को मान्यता देता है।

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इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन चंद्रमा के गड्ढों (क्रेटर) का भी नामकरण करता है। इनके नाम जानेमाने वैज्ञानिकों, कलाकारों या एक्सप्लोर्स के नाम पर रखे जाते हैं।

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2020 में, चंद्रयान -2 द्वारा देखे गए चंद्रमा के क्रेटर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया था।

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