Aug 30, 2023

​ISRO के इस निर्दोष वैज्ञानिक को क्यों जाना पड़ा था जेल, रुला देगी नंबी नारायणन की कहानी

Amit Mandal

नंबी नारायणन की कहानी

ISRO के वैज्ञानिक नंबी नारायणन इन दिनों चर्चा में हैं। नारायणन को जासूसी के झूठे आरोपों में जेल भी जाना पड़ा था। जानिए इनकी कहानी जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी।

Credit: PTI

नासा की एक प्रतिष्ठित फेलोशिप जीती

मेधावी छात्र रहे नंबी ने केरल के तिरुवनंतपुरम के इंजीनियरिंग कॉलेज से एमटेक की डिग्री ली। 1969 में नारायणन ने नासा की एक प्रतिष्ठित फेलोशिप जीती।

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अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी गए

इसके बाद वह पढ़ाई करने के लिए अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी चले गए जहां उन्हें रॉकेट की तकनीकी समझने के साथ-साथ अपना लक्ष्य समझने में भी मदद मिली।

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इसरो में नौकरी ज्वाइन की

भारत लौटने के बाद नंबी नारायणन ने इसरो में काम करना शुरू किया। भारत में लिक्विड फ्यूल राकेट टेक्नोलॉजी लाने वाले नंबी ही थे।

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ईंधन रॉकेट प्रौद्योगिकी लाने का श्रेय

इसरो पहले राकेट टेक्नोलॉजी सॉलिड प्रोपेल्लेंट्स पर निर्भर था, लेकिन 1970 में नंबी लिक्विड फ्यूल राकेट टेक्नोलॉजी भारत में लेकर आए और इसके साथ ही देश में ईंधन रॉकेट प्रौद्योगिकी की शुरुआत हुई।

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PSLV और GSLV में इस्तेमाल

इसका इस्तेमाल इसरो ने अपने कई रॉकेटों के लिए किया था, जिनमें ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) और जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) शामिल हैं।

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​साराभाई, सतीश धवन और कलाम के साथ काम किया

नंबी नारायणन ने अपने करियर में विक्रम साराभाई, सतीश धवन और एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम किया था।

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गोपनीय जानकारी लीक करने का झूठा आरोप लगा

इसरो में काम करने के दौरान साल 1994 में नारायणन पर भारतीय आंतरिक्ष प्रोग्राम से जुड़ी गोपनीय जानकारी को लीक करने का झूठा आरोप लगा था।

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मालदीव के दो नागरिकों को जानकारी देने का आरोप

आरोप थे कि उन्होंने आंतरिक्ष कार्यक्रम की जानकारी मालदीव के दो नागरिकों को साझा की है, जिन्होंने इसरो के रॉकेट इंजनों की इस जानकारी को पाकिस्तान को बेच दी थी।

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केरल सरकार ने किया गिरफ्तार

इन आरोपों के बाद केरल सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। 50 दिनों की जेल काटने और पुलिस के अत्याचार सहने के बाद नंबी को रिहा कर दिया गया।

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सुप्रीम कोर्ट ने 1998 में निर्दोष घोषित किया

1996 में सीबीआई ने उनके खिलाफ आरोप खारिज कर दिए थे और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 1998 में निर्दोष घोषित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 50 लाख रुपये हर्जाना दिए जाने का आदेश भी सुनाया था।

Credit: Timesnow Hindi

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